अरब की हिंदू देवियां
सपना सिंह
अल लात, अल उज्जा और मनात, इस्लाम से पहले की तीन हिन्दू देवियां हैं, त्रिदेवियाँ , बीच में माँ दुर्गा और दाएं बाएं लक्ष्मी और सरस्वती!
इस्लाम पूर्व के अरब के पारम्परिक धर्म में एक देवी का नाम था।अल लात वह मक्का की तीन मुख्य देवियों में से एक थी। इस्लाम-पूर्व के अरब अल-लात को ईश्वर की तीन बेटियों में से एक मानते थे अन्य दो मनात और अल-उज़्ज़ा थीं आधुनिक मक्का प्रान्त की सरवात पहाड़ियों के प्रसिद्ध ताइफ़ शहर के एक मंदिर में अल-लात की एक बड़ी मूर्ती थी जहाँ श्रद्धालु जन बड़ी संख्या में आया करते थे। ६३० ईसवी में मुहम्मद ने अपने एक सिपहसालार अबू सुफ़यान बिन हर्ब को मंदिर और मूर्ती दोनों नष्ट करने का आदेश दिया। उस समय ताइफ़ के नागरिक अल-लात से जुड़े हुए थे लेकिन उनके शहर पर मुस्लिम फ़ौजों के लगातार हमले जारी थे। हज़रत मुहम्मद ने ताइफ़ के साथ बातचीत करने के लिए राज़ी होने के लिए यह मांग रखी कि मंदिर और मूर्ती तोड़ी जाएँ।
इस्लाम अनुयायियों द्वारा जिनको “शैतान की आयतें” कहा जाता है उनमें वर्णित त्रिदेवियों में से प्रमुख थी सिंह पर सवार युद्धरत युद्ध की देवी । इस्लामपूर्व अरबों द्वारा पूजित अल लात
का’बा में शिवलिंग के अलावा कुल ३६० मूर्तियाँ थीं जिनमें तीन देवियाँ अल्लाह के बाद सर्वप्रमुख थीं । अल−लात का मुख्य केन्द्र मक्का के पास “अल टा−इफ” नाम का नगर है जो मुहम्मद से पहले ही मक्का के बाद सबसे प्रमुख तीर्थ था, “टा−इफ” का अर्थ ही है “तीर्थयात्री” । मुहम्मद ने वहाँ अल−लात की मूर्ति को नष्ट कराया,और मक्का में भी पैगम्बर मुहम्मद ने स्वयं इन मूर्तियों को तुड़वाया था
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