जब-जब आती हाथों में" दिव्य रश्मि"
अरविन्द अकेला
जब जब आती हाथों में "दिव्य रश्मि",
खिल जाता मेरा घर,आँगन,द्वार,
तन-मन मेरा पुलकित हो जाता,
हर्षित होता मेरा संसार।
जब-जब आता...।
"दिव्य रश्मि पत्रिका" बहुत है पुरानी,
पाठकों के लिए यह नहीं अंजानी,
रंग-रूप,शानदार हैं इसके,
जिससे लगता यह जानदार।
जब-जब आता...।
देश-दुनियाँ की छपती इसमें खबरें ,
साहित्य,अध्यात्म पर इसकी नजरें ,
लिखते लेखक आलेख, विचार इसमें,
जो हैं राष्ट्रीय स्तर के पत्रकार।
जब-जब आता...।
संपादक इसके राकेश दत्त मिश्र हैं,
जिनकी लेखनी है शानदार,
संपादकीय ये धारदार लिखते हैं ,
मिलता इन्हेँ पाठकों का प्यार।
जब-जब आता ...।
मैं कवि "अकेला" इसका पाठक,
रखते हम इस पत्र से सरोकार,
इसमें मेरे लेख,विचार छपते,
जिससे मिलती हमें यश-कीर्ति अपार।
जब-जब आता...।
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अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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