ओवैसी के पत्थर फेंकतें ‘बच्चे’
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तर प्रदेश के कानपुर में तीन जून को योजनाबद्ध तरीके से हिंसा हुई। आधार बनाया गया मोहम्मद साहेब के खिलाफ दिये गये कुछ बयानों को जो भाजपा की नेता नूपुर शर्मा ने एक टीवी चैनल को दिये थे। इस बयान का समर्थन भाजपा के एक नेता ने किया था। पार्टी नेतृत्व ने कड़ा कदम उठाया और नूपुर शर्मा को फौरन निलंबित कर दिया गया जबकि बयान को समर्थन देने वाले नवीन जिंदल को तो पार्टी से ही बर्खास्त कर दिया गया। यह कार्रवाई कितनी कारगर है, इस पर विपक्षी नेताओं को बोलने का पूरा हक है। एआईएमआईएम के नेता असदउद्दीन ओवैसी भी अपनी राय रख रहे थे। हालांकि इससे पहले उनकी पार्टी ने नूपुर शर्मा के सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर अपनी गरिमा खुद गिरा दी थी। ओवैसी ने अपनी पार्टी के नेताओं के बारे में कुछ नहीं कहा लेकिन भाजपा नेतृत्व को कठघरे में खड़ा किया कि उसने 10 दिन बाद कार्रवाई क्यों की और कार्रवाई भी सिर्फ निलम्बित करने की। ओवैसी कहते हैं कि भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और अगर नूपुर शर्मा को गिरफ्तार नहीं किया गया तो कानपुर के उन ‘बच्चों’ को क्यों पकड़ा गया? ओवैसी का सीधा आशय उन हुड़दंगियों से है जो पत्थर फेंक रहे थे। सिर्फ पत्थर ही नहीं फेंक रहे थे बल्कि आसपास के निवासियों के बयान के अनुसार वहां रहने वाले हिन्दुओं को धमका भी रहे थे कि यहां से भाग जाओ वरना तुमको काट डालेंगे, मार डालेंगे। कानपुर की नई सड़क के पास हुए इस उपद्रव के पीछे सिर्फ नगर को हिंसा की आग के जलाने की कुत्सित मंशा नहीं थी बल्कि प्रदेश भर में दंगा भड़काने की साजिश रची गयी थी। ऐसे लोगों को हैदराबाद के सांसद ओवैसी मासूम बच्चे बता रहे हैं। ऐसे बच्चे ओवैसी को ही मुबारक हों। योगी की सरकार उन्हंे आग का खेल नहीं खेलने देगी। ओवैसी जी! पत्थर फेंकने, आगजनी करने वालों को उपद्रवी कहने की भी हिम्मत दिखाइए।
भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ मुंबई में टीवी शो के दौरान पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी को लेकर मामला दर्ज किया गया। भारतीय सुन्नी मुसलमानों के सुन्नी बरेलवी संगठन रजा अकादमी की शिकायत के बाद यह कार्रवाई हुई थी। शर्मा के खिलाफ मुंबई के पाइधोनी पुलिस स्टेशन क्षेत्र में आईपीसी की धारा 295ए, 153ए और 505बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।खुद को मुसलमानों की दुनिया की आवाज कहने वाले 57 सदस्यीय ओआईसी ने पैगंबर के खिलाफ दिए गए बयान को लेकर भारत पर निशाना साधा था। साथ ही संयुक्त राष्ट्र से भारत में मुसलमानों को निशाना बनाए जाने की समस्या सुलझाने का आह्वान किया था। भारत सरकार ने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (ओआईसी) को जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने ओआईसी सचिवालय के बयानों की निंदा की है और साथ ही धर्मों के प्रति सम्मान दिखाने की बात कही है। कतर में स्थित भारतीय दूतावास ने इस मामले में वहां की सरकार के समक्ष दो टूक कहा कि यह टिप्पणी भारत सरकार का बयान नहीं है, न ही सरकार ऐसे किसी बयान का कभी समर्थन करती है। बल्कि यह बाहरी तत्वों का बयान है। जिनके खिलाफ पहले ही कार्रवाई हो चुकी है।भारत सभी धर्मों व संस्कृति का सम्मान करता है। धार्मिक एवं सांस्कृतिक विविधता में विश्वास करता है। इसके बाद भी कतर का भारत सरकार से माफी की मांग करना अनुचित प्रतीत होता है। सूत्रों की मानें तो मुस्लिम राष्ट्रों का रुख भारत के प्रति पिछले कुछ समय से ज्यादा तल्ख है। जबकि कई बार बिना किसी वजह से वह भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देते हैं। जैसे, जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की कार्रवाई पर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन ने चिंता जता दी। उसे इस बात पर आपत्ति थी कि भारत चुनावी सीटों की सीमाओं में बदलाव कर रहा है। ओवैसी उनके प्रतिनिधि बने हैं।
ओवैसी कहते हैं भारत में मुसलमान को बैंड वाले से ज्यादा नहीं समझा जाता है। चुनावों में मुसलमानों की हैसियत बैंड बजाने वालों जैसी रह गई है। आज ये फैसला कर लें कि दूल्हे के लिए बैंड बजाएंगे क्या? अब कि हम जम्हूरियत का बाजा बजाएंगे। यूपी की सियासत में जिस किसी समाज का नेता है तो उसी का सम्मान है। 19 फीसदी मुसलमान का नेता
यूपी में कोई नहीं है। मेरी मरने से पहले ख्वाहिश है कि यूपी में 100 मुस्लिम नेता हों। इसी क्रम में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ बीजेपी के दो नेताओं की कथित विवादित टिप्पणियों को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोला। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बीजेपी ने अपने दोनों नेताओं (राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा और दिल्ली इकाई के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल) पर कार्रवाई करने में देरी की। दोनों के खिलाफ करीब 10 दिन पहले कार्रवाई होनी चाहिए। ओवैसी ने दावा करते हुए कहा कि बीजेपी ने गल्फ देशों में भारत के खिलाफ उठी आवाज के बाद अपने नेताओं के खिलाफ ऐक्शन लिया है। नूपुर शर्मा विवाद पर असदुद्दीन ओवैसी ने एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि खाड़ी के देशों में यह मसला बड़ा हो गया था इसलिए मजबूरी में देश के प्रधानमंत्री ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता के खिलाफ कार्रवाई की। यह गलत है क्योंकि उनको यह कार्रवाई 10 दिन पहले करनी थी। आप मेरे पीएम हैं, आपको मेरी बात सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि आप विदेशी नेताओं को खुश करना चाहते हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने विपक्षी दलों की इस पूरे मामले पर खामोशी को लेकर भी हमला बोला लेकिन कानपुर में उपद्रव करने वालों को बच्चा बता रहे हैं। बीजेपी ने विवादित बयानों के लिए अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया। वहीं, दिल्ली इकाई के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को पार्टी नेतृत्व ने बीजेपी से निष्कासित करने का फैसला लिया। इससे पूर्व एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था, जिसमें एआईएमआईएम के नेता नूपुर शर्मा के सिर पर एक करोड़ के इनाम की घोषणा करते हुए दिख रहे हैं। तजिंदर पाल बग्गा ने भी यह वीडियो शेयर किया है। नुपुर शर्मा का कहना है कि उन्हें लगातार धमकी भरे संदेश और कॉल आ रहे हैं। धमकी देने वाले लोग उन्हें और उनके परिवार को अपशब्द कहने के साथ जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं। उन्होंने धमकी देने वाले आरोपियों के संदेशों के स्क्रीन शॉट अपने ट्विटर हैंडल पर भी साझा किए हैं। नुपुर शर्मा का कहना है कि वह दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भी अपनी शिकायत भेज रही हैं।
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