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कहीं किसी मोड़ पर

कहीं किसी मोड़ पर

फूल खिलने मन मिलने लगे महक गई वादियां 
मनमीत मिले संगीत सजे लो होने लगी शादियां
आओ आओ सनम मिलो प्रेम की हसीं रोड पर 
फिर मिलेंगे हम जाने कब कहीं किसी मोड़ पर

राहे खुल सी गई बातें घुल सी गई जुबां पे सनम 
मनमयूरा हमारा झूम उठा देख तुम्हारे बढ़ते कदम 
हवाओं की खुशबू से महका मन ताजगी जोड़ के
आशाओं के दीप जला मिलेंगे कभी किसी मोड़ पे

वो नजारे हसीं महकती वादियां मिलने को सनम 
दिल की बातें मधुर सुहाने वो पल याद करते हम 
सीमाएं सरहद ना बांधे तुझे आ जाओ तोड़कर 
दिल यह कहता मिलेंगे हम कभी किसी मोड़ पर

गीत नगमे तराने वो प्यार के मन में उठने लगे 
मोहक झरने सुहाने बहारों के जब झरने लगे
चले ना जाना यूं ही हमसे फिर मुंह मोड़कर
रखो धीरज प्रिये हम मिलेंगे कभी किसी मोड़ पर

मन के जुड़ जाये तार जब संगीत बने प्यार के 
दो दिलों की धड़कन जब मौसम खिले बहार से 
चले आना मत रुकना तुम जग की किसी हौड़ से 
यह वादा हमारा हम मिलेंगे कभी किसी मोड़ पे

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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