बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए बजट मैनुअल का प्रावधान ठंडे बस्ते में : सीए संजय कुमार झा , अध्यक्ष इंडियन सीए. एसोसिएशन

बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए बजट मैनुअल का प्रावधान ठंडे बस्ते में : सीए संजय कुमार झा , अध्यक्ष इंडियन सीए. एसोसिएशन 

बिहार में वित्तीय प्रबंधन बेहतर करने के लिए बिहार सरकार सख्त प्रावधान लागू करने से हिचक रही है ! वित्त विभाग द्वारा प्रारंभिक संशोधन का प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार किया गया लेकिन इसे अंतिम रूप नहीं देकर राज्य मंत्रिमंडल ने इस प्रस्तावित संशोधन में सरकारी विभागों से लेकर जिला प्रशासन और ट्रेजरी से लेकर एजी तक की प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया है !

बजट मैनुअल में प्रस्तावित बदलाव के बाद ट्रेजरी के स्तर पर किसी तरह की गड़ब़ड़ी की आशंका समाप्त हो जाती। विभाग के स्तर पर फाइनल होने के बाद किसी भी बिल में ट्रेजरी के स्तर पर कोई भी बदलाव संभव नहीं होगा। वहीं राज्य सरकार की ऑनलाइन वित्तीय प्रबंधन प्रणाली महालेखाकार कार्यालय से भी जुड़ जाएगी। इससे ऑनलाइन ही मासिक लेखा एजी के पास चला जाएगा, जहां से समय रहते गड़बड़ियों की पहचान आसान हो जाएगी।

✓ विश्वविद्यालयों और स्थानीय निकायों की अनियमितता पर लगाम :
राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर संशोधन नहीं किए जाने से विभागों के स्तर बड़ी अनियमितता नियंत्रण में नहीं है। विश्वविद्यालय, नगर निकायों और पंचायती राज संस्थाओं की सार्वजनिक वित्तीय प्रणाली को लेकर शिकायत आती रही है। बजट मैनुअल में संशोधन से इसपर खास तौर से फोकस किया जाना चाहिए । इन सरकारी निकायों के लिए सरकार उनके भौतिक और मानव संसाधन का ऑनलाइन डाटा बेस तैयार कर उसे राज्य सरकार की बजट प्रबंधन प्रणाली से जोड़ देना उपयोगी साबित होगा !
विश्वविद्यालयों और स्थानीय निकायों के एक-एक कर्मचारी की सैलरी और उन्हें मिलने वाला लाभ बजट प्रबंधन प्रणाली में होने के कारण इस स्तर पर गड़बड़ी मुश्किल हो जाएगी। इसी तरह वाहनों से लेकर तमाम भौतिक संसाधनों की कीमत से लेकर उनकी संख्या तक बजट प्रबंधन प्रणाली में मौजूद होने से मांगे जाने वाले अतिरिक्त आवंटन की तत्काल जांच कर सही फैसला करना संभ‌व होगा।
✓ सृजन घोटाले ने दी है काफी सबक :
बिहार सरकार को वित्तीय प्रबंधन बेहतर करने में चारा घोटाले , सृजन घोटाला आदि के कारणों और उससे पैदा हुई परिस्थितियों ने काफी सबक दी है। जांच के दौरान समय-समय पर पता चलता रहा कि किस तरह बजट उपबंध, संशोधित बजट, मंजूरी और आवंटन में कैसे अलग-अलग प्रावधान किए जाते रहे। ट्रेजरी के स्तर पर बरती गई अनियमितता का भी काफी खुलासा हुआ। महालेखाकार के पास भी मासिक लेखे ठीक से उस दौरान नहीं भेजे गए। इनसे सीख लेकर पहले भी बजट मैनुअल में कई तरह के बदलाव किए जाने चाहिए ।

✓ ऑडिट मैनुअल का भी ड्राफ्ट तैयार करें : 
बजट मैनुअल में संशोधन के साथ ही अनियमितता रोकने की पहल में सरकार ऑडिट मैनुअल के ड्राफ्ट भी तैयार करने की जरूरत है। इसके जरिए वित्तीय अंकेक्षण के अलावा दर्जन भर और भी ऑडिट के प्रावधान किए जाने चाहिए । जिसमें आईटी ऑडिट से लेकर एजी की तरह परफॉर्मेंस ऑडिट तक शामिल होने चाहिए । इसी तरह बदली हुई व्यवस्था में ट्रेजरी कोड में भी संशोधन करना चाहिए । विभिन्न परिस्थितियों में अंकेक्षक की नियुक्ति के नियमों / नीतियों की आवश्यकता है ! अंकेक्षक की स्वतंत्रता , वित्तीय प्रबंधन की बहाली के लिए महत्वपूर्ण भूमिका रखती है !
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