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पाठशाला

पाठशाला

जीवन की है पाठशाला भरा पूरा परिवार 
सद्भावो की पावन गंगा बहती मधुर बयार 

शिक्षा का मंदिर पावन गांव की वो पाठशाला 
सदा ज्ञान की ज्योत जलाते ले अंदाज निराला 

पाठशाला में पढ़ाई कर कितने विधायक हो गए 
भाग दौड़ भरी दुनिया जाने कही भीड़ में खो गए 

पाठशाला में पेड़ तले पढ़ना भी सबको भाता था 
गुरु जी का डंडे बरसाना हमको खूब डराता था 

याद बहुत आती है हमको पाठशाला की मोज 
खो खो कबड्डी कुश्ती सब मिलकर खेलते रोज

पाठशाला आज भी चलती पर गुरु नहीं मिलते
नैनों से प्रेम झलकता था आंखों में अश्रु ढलते।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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