मेरी ढाल
जिसने जीना सिखाया मुझको
वही छोड़कर चली गई।
जिसने जलाये अंधेरो में दीपक
वो न जाने कहाँ खो गई।
सिखाया जिसने लिखना पढ़ना
पता नहीं वो क्यों रूठ गई।
सच कहे तो हमारी जिंदगी
अब जिंदगी ही नहीं रही।।
हमें अकेला छोड़ गई
क्यों जीने के लिए।
बिना तेरे जीना मुझे
अब आता ही नहीं।
पग पग पर पड़ती है
आज भी तेरी जरूरत।
कैसे अकेला चल पाऊंगा
इस मतलबी दुनियां में।।
कितना मुझे संभलाती थी
इस भीड़ भरी दुनियां में।
अपना स्नेह प्यार लूटती थी
मुझे जिंदा रहने के लिए।
भूलकर भी कोई बुरा भला
मुझे कह नहीं सकता था।
ऐसी ढाल बनकर वो
समाने खड़ी हो जाती थी।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबईहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews
https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com