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तुम्हारा ब्यर्थ टकराना

तुम्हारा ब्यर्थ टकराना

अगम जलधार है नाविक
संबल कर नाव लेजाना 
तरंगों के थपेड़ों से 
बचा पाना बचा लाना

भंवर के तीव्र फेरे हैं 
कहीं जल जन्तु घेरे हैं
अंधेरी शून्य वेला में
न संगी  संग  तेरे हैं

अकेलेएकसाहस से
कठिन वह लक्ष्यअपनाना

युगों की आपदायें हैं 
भयानक भावनायें हैं 
उपलि की वृष्टि करने को 
घिरी नभ में घटायें हैं

न दिखता और कोई छोर 
झंझावात मनमाना

न है पतवार करतल में 
सहारा कौन इस जल में 
कहीं यदि चूक जाओगे 
गिरोगे जा रसातल में

किसीभी यत्न से होगा 
न वापस लौटकर आना

करें फिर भी न मन में भय
सफलता है निकट निश्चय
तुम्हारी   कार्यशैली  पर 
कहेगा विश्व जय जय जय

शिलाओं से न जायेगा 
तुम्हारा ब्यर्थ टकराना

अगम जल धार है नाविक 
संभल कर नाव ले जाना
तरंगों के थपेड़ों से 
बचा पाना बचा लाना
          *
~जयराम जय 
'पर्णिका'बी-11/1,कृष्ण विहार,
आवास विकास कल्याणपुर,
कानपुर-208017(उ.प्र.)
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