देशभर में 154 स्थानों पर सनातन संस्था द्वारा ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ भावपूर्ण वातावरण में संपन्न !
कालानुसार ‘हिन्दू राष्ट्र’ के लिए योगदान देना, श्रीगुरु के समष्टि रूप की सेवा ! - - सद्गुरु निलेश सिंगबाळ, धर्मप्रचारक, हिन्दू जनजागृति समिति
वाराणसी - ‘सुखस्य मूलं धर्मः।’, अर्थात सुख का मूल धर्माचरण में है । यदि समाज और राष्ट्र को सुचारू रूप से चलाना है तो सभी क्षेत्रों में धर्म की स्थापना आवश्यक है । व्यक्तिगत या सामाजिक जीवन में धर्म का अधिष्ठान आने से वह व्यक्ती नीतिवान बनता है और कुछ भी गलत काम करने से बचता है । इसलिए धर्म का अधिष्ठान हुआ, तो ही धर्माधारित यानि आदर्श समाज का निर्माण हो सकता है । इसलिए राष्ट्र को वास्तविक रूप से उर्जितावस्था प्राप्त करनी हो, तो धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता है । उसके लिए प्रत्येक को धर्मशिक्षा लेकर, धर्माचरण कर धर्माधारित समाज का निर्माण और धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए सक्रिय होना चाहिए । कालानुसार हिन्दू राष्ट्र के लिए योगदान देना श्रीगुरु के समष्टि रूप की सेवा ही है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक संत सद्गुरु निलेश सिंगबाळ जी ने इस अवसर पर किया । सनातन संस्था द्वारा आयोजित गुरुपूर्णिमा महोत्सव में वे बोल रहे थे । वाराणसी के नाटी इमली में भरत मिलाप मैदान स्थित वैश्य मंडपम् में यह भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया । । देशभर में 154 स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ भावपूर्ण वातावरण में मनाए गए ।
महोत्सव के प्रारंभ में श्री व्यासपूजा और प.पू. भक्तराज महाराजजी की प्रतिमा का पूजन किया गया । इस कार्यक्रम में मान्यवर सहित अनेक जिज्ञासु उपस्थित थे ।
9 भाषाआें में ‘ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ : इस वर्ष सनातन संस्था द्वारा मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड, तमिल, तेलगु, गुजराती, बंगाली, उडिया आदि 9 भाषाआें में ऑनलाइन के माध्यम से गुरुपूर्णिमा महोत्सवों संपन्न हुआ । इस माध्यम से देशविदेश के हजारों श्रद्धालुआें ने ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सवों’ का लाभ उठाया । ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा उत्सव में सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवले की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने ‘इम्पोर्टेन्स ऑफ गुरु’ इस ई-बुक का लोकार्पण किया ।
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