विवादों से ध्यान बंटा रहे मान
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
समाज सेवा के नाम पर की जाने वाली राजनीति को समझना भी आसान नहीं होता है। राजनेता जनता का ध्यान विवादों की तरफ से हटाने के लिए तरह-तरह के पैंतरे चलते हैं। पंजाब में भी आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार यही कर रही है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने पिछले दिनों केन्द्रीय जलसंसाधन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से नहरों की मरम्मत को लेकर चिंता जतायी। उन्हांेने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व की और बाद की भी नहरों की हालत बहुत दयनीय है। इसके लिए केन्द्र सरकार राज्य को विशेष सहायता दे। गजेन्द्र शेखावत उनकी बात सुनकर मुस्करा रहे थे। उनकी मुस्कान का अर्थ यह लगाया जा रहा था कि पंजाब ने हरियाणा के साथ विवाद का विषय बनी सतलुज यमुना लिंक नहर का अपने हिस्से का निर्माण नहीं कराया जबकि मुख्यमंत्री नहरों को लेकर चिंता जता रहे हैं। दरअसल पंजाब की नई सरकार ने मुफ्त बिजली देने की योजना बनायी, उसको लेकर आलोचना हो रही है। इसी तरह एडवोकेट विनोद घई को नया एडवोकेट जनरल बनाया गया है। घई की नियुक्ति को लेकर भी आपत्ति उठाई जा रही है। मुख्यमंत्री मान ने इन विवादों की तरफ से जनता का ध्यान हटाने के लिए नहरों का मामला उठाया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से राज्य में नहरी प्रबंधन के नवीनीकरण के लिए विशेष फंड अलॉट करने की मांग की है। केंद्रीय मंत्री शेखावत के साथ मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में मौजूदा नहरी प्रणाली को मजबूत और मरम्मत करने के लिए विशेष पैकेज की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले बनी अपर बारी दोआब नहर (यू.बी.डी.सी.) का अब बहुत बुरा हाल है, जिस कारण किसानों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। भगवंत मान ने केंद्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि आजादी के बाद बनी नहरों को भी मजबूत करने और उनका नवीनीकरण करने की जरूरत है, जिसके लिए केंद्र सरकार को राज्य को विशेष पैकेज देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय की जरूरत है क्योंकि राज्य के अनाज उत्पादकों, जिन्होंने देश को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई है,उनको राज्य में खस्ता हाल नहरी व्यवस्था के कारण काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए केंद्रीय मंत्री के हस्तक्षेप की मांग की। भगवंत मान ने कहा कि इससे नहरों के पानी की क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी और राज्य के किसानों को फायदा होगा।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को यह भी बताया कि राज्य सरकार ने सतलुज नदी की सहायक नदी, बुड्ढे नाले की सफाई का प्रोजेक्ट शुरू किया है, जो लुधियाना जिले से गुजरने वाली नदी के लगभग बराबर चलता है और आखिरकार नदी में मिल जाता है। उन्होंने बताया कि नाले की कुल लंबाई 47.55 किलोमीटर है, जिसमें से 14 किलोमीटर लुधियाना शहर से गुजरता है और शहर को दो हिस्सों में बांटता है। भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार ने इस नाले की सफाई के लिए 850 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसी तरह मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बुड्ढे नाले में भी 200 क्यूसेक ताजा पानी छोड़ रही है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को बताया कि इस प्रोजेक्ट का 54 प्रतिशत काम मुकम्मल हो चुका है और यह मार्च 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। भगवंत मान ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह नई तकनीकें लाने के लिए इस प्रोजेक्ट में राज्य सरकार की मदद करे।
दूसरी तरफ भगवंत मान की मुफ्त बिजली योजना पर विवाद चल रहा है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने पंजाब में मुफ्त बिजली के नाम पर पंजाब के लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया है। साथ ही मुफ्त बिजली को लेकर लगाई गई शर्तों को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार की निंदा की है। पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) द्वारा 600 यूनिट मुफ्त बिजली को लेकर जारी किए गए नोटिफिकेशन, जिसमें मुफ्त बिजली के लिए बहुत सारी शर्ते लगाई गई हैं, का जिक्र करते हुए वड़िंग ने कहा कि राज्य सरकार ने असल में पंजाब की अधिकतर जनसंख्या को इस लाभ से वंचित कर दिया है।
वंडिंग ने कहा कि मुफ्त बिजली पाने के लिए शर्तें इस प्रकार लगाई गई है कि कई घरेलू उपभोक्ता 600 यूनिट मुफ्त बिजली के लिए हकदार नहीं बन सकेंगे। उदाहरण देते हुए, उन्होंने कहा कि कोई भी आयकर अदा करने वाला, पेंशन प्राप्त करने वाला या फिर सरकारी कर्मचारी का परिवार मुफ्त बिजली पाने का हकदार नहीं होगा। वड़िंग ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से कहा कि आपने इस संबंध में चुनाव पूर्व वायदे और सरकार बनाने के बाद किए गए ऐलान में यह नहीं कहा था। यह पंजाब के लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कह रहे हैं कि पंजाब के लोगों को 600 यूनिट मुफ्त बिजली मिल रही है और अगर इन राज्यों में भी आप की सरकार बनती है, तो यहां के लोगों को भी मुफ्त बिजली मिलेगी। उन्होंने आप के नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि हम इन दोनों राज्य में आपके झूठों की पोल खोलेंगे कि किस प्रकार आप ने पहले बड़े-बड़े वायदे करके और बाद में सख्त शर्तें लगाकर पंजाबियों के साथ सही नहीं किया है। पंजाब सरकार के 300 यूनिट प्रति माह मुफ्त बिजली देने को लेकर स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पी.एस.पी.सी.एल.) द्वारा रविवार को जारी सर्कुलर पर बवाल मच गया है। दरअसल इस सर्कुलर में कहा गया है कि केवल रिहायशी उद्देश्यों के लिए बिजली इस्तेमाल करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को 600 यूनिट बिजली दो-महीने 300 यूनिट प्रति माह मुफ्त बिजली दी जाएगी। हालांकि यह रियायत 1 जुलाई 2022 से लागू हो चुकी है। परन्तु यह रियायत सरकारी अस्पताल/सरकारी डिस्पेंसरी में, सभी धार्मिक स्थलों, सरकारी खेल संस्थाओं, सैनिक रेस्ट हाउस, सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं और अटैच्ड होस्टलों पर लागू नहीं होगी।
इसी प्रकार एडवोकेट जनरल (एजी) अनमोल रतन सिद्धू द्वारा इस्तीफा देने के बाद एडवोकेट विनोद घई को नया एजी नियुक्त कर दिया है। अब घई की नियुक्ति का भी विरोध शुरू हो गया है। बहबल इंसाफ मोर्चा और हरियाणा एसजीपीसी के अध्यक्ष बलजीत सिंह दादूवाल का कहना है कि डेरामुखी का केस लड़ने वाले एडवोकेट को एजी नियुक्त क्यों किया गया? उन्होंने इसे बरगाड़ी बेअदबी और बहबल कलां फायरिंग मामले में इंसाफ मांग रहे पंजाबियों के साथ भद्दा मजाक करार दिया है। घई इससे पहले पंचकूला अदालत में चले मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की ओर से मामले की पैरवी करते रहे हैं।
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