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स्वर्ण गरीब का दर्द

स्वर्ण गरीब का दर्द

पढ़ा लिखा था मगर गुणा न था,
सिक्का तो था मगर खरा न था।
सरकारी नीति के तहत पास होता,
पढ़ा लिखा होकर भी पढ़ा न था।
अक्षर ज्ञान सीख साक्षरता बढाता,
आरक्षण की कसौटी चढ़ा न था।
जन्म से स्वर्ण मगर निर्धन बहुत था,
सरकारी योजनाओं में दख़ल न था।
भूख से व्याकुल हो मर गया बेचारा,
किसी समाचार में कोई खबर न था।

अ कीर्ति वर्द्धन
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