यूपी में ओडीओपी का विस्तार
(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
एक जनपद एक उत्पाद ओडीओपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अभिनव योजना रही है। अब इसका एक जिला अनेक उत्पाद के रूप में विस्तार हो चुका है। उत्तर प्रदेश के सभी जनपद किसी न किसी विशेष उत्पाद के लिए पहचाने जाते थे। इससे बड़ी संख्या में स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित होते थे। किन्तु पिछली सरकारों ने स्थानीय उद्योगों पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया। इससे धीरे धीरे यह पहचान सिमटती गई। योगी आदित्यनाथ ने पिछले कार्यकाल में एक जिला एक उत्पाद योजना लागू की। इनके संवर्धन के लिए व्यापक प्रयास किए गए। इसकी सफलता से प्रभावित होकर इसे केंद्रीय बजट में शामिल किया गया था। अब यह योजना पूरे देश में संचालित की जा रही है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी अभी जी 7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने जर्मनी गए थे। वहाँ उन्होंने सदस्य देशों के नेताओं को ओडिओपी उत्पाद उपहार स्वरूप दिए थे। विकसित देशों के शासकों ने इसमें गहरी दिलचस्पी दिखाई थी। इस संदर्भ में राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने उपयोगी सुझाव दिया है। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में एक जनपद एक उत्पाद हेतु के एक प्रदर्शन का स्थल बनाने का निर्देश दिया और कहा कि विश्वविद्यालय में आये गणमान्य अतिथियों के सम्मान में स्थानीय उत्पाद ही भेंट करने की परम्परा सुनिश्चित की जाये।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया था। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था को भारतीय परिवेश के अनुकूल बताया था। आत्मनिर्भरता के लिए स्थानीय उद्योगों, कृषि व कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन आवश्यक है। आनन्दी बेन पटेल ने इस दिशा में उपयोगी सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि एक जनपद एक उत्पाद की तर्ज पर एक जिला एक फसल विशेष योजना पर अमल करने की आवश्यकता हैै। इस पर आधारित उद्योगों से स्थानीय स्तर पर ही लोगों को रोजगार मिलेगा। ऐसा होने पर लोगों को गांवों से शहरों की ओर पलायन नहीं करना पड़ेगा। किसानों की आय बढ़ाने के लिए जीरो बजट आधारित कृषि को प्रोत्साहन देना होगा। इसमें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बिल्कुल नहीं होता है। इस प्राकृतिक खेती में गाय का बहुत बड़ा योगदान होता है। गोबर एवं गो मूत्र से खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है। इनके प्रयोग से उत्पादन लागत में कमी के साथ उत्पादन एवं अन्न की पौष्टिकता में भी वृद्धि हो सकेगी। शहरों के साथ गाँवों के विकास पर भी ध्यान केन्द्रित करना होगा। देश की सत्तर प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालय चिकित्सालय, विद्युत पहुंच हेतु पक्की सड़क एवं परिवहन आदि आवश्यक सुविधाएं पहुंचानी होंगी। इससे समग्र विकास होगा। कृषकों को खेती हेतु सिंचाई एवं बिजली, खाद व भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था उपलब्ध होनी चाहिए। गाँवों में कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ाने हेतु प्रोत्साहन देना होगा। इन प्रयासों से गांव स्वावलंबी बन सकेंगे।
उत्तर प्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है। प्रदेश में उपजाऊ कृषि योग्य भूमि एवं नदियाँ हैं। प्रदेश कई कृषि उत्पादों हेतु विशेष महत्व रखता है। यहां प्रत्येक जनपद की अपनी अपनी विशेषता है। प्रत्येक जनपद अपने किसी न किसी विशेष उत्पादन के लिये भी विख्यात है। जनपद कन्नौज इत्र के लिये, मुरादाबाद पीतल के लिये, लखनऊ चिकन कारीगरी एवं दशहरी आम के लिये, अलीगढ़ ताला के लिये, फिरोजाबाद कांच के लिये एवं भदोही कालीन के लिये प्रसिद्ध है। डाॅ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा ने रिवर्स माइग्रेशन एण्ड रूरल डेवलेपमेंट इन उत्तर प्रदेश विषय पर बेबीनार का आयोजन किया था। आनन्दी बेन पटेल ने इस विषय के अनुरूप सार्थक विचार प्रस्तुत किये। योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना व्यापक परिप्रेक्ष्य में लागू की थी। यहां प्रत्येक जिले की अपनी विशेषता रही है। यह विशेषता उस जिले की पहचान के साथ जुड़ी थी। यह केवल स्थानीय उद्योगों के उत्पाद तक सीमित नहीं थी। एक जिला एक उत्पाद की मूल भावना यहीं तक सीमित भी नहीं है। इसमें कृषि और लोककला का विषय भी शामिल है। भारत में नाट्यशास्त्र का इतिहास आदिकाल से रहा है। यहां प्रकृति की भव्यता का गायन सबसे पहले हुआ। इसमें लोक संस्कृति का भी समावेश रहा है। यही कारण है कि हमारे यहां प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट कला है। एक जनपद एक उत्पाद की तरह ही एक जनपद एक विशेष फसल प्रोजेक्ट तैयार हो सकता है। जिससे जनपद में होने वाली फसल विशेष को प्राथमिकता मिल सके। स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की दृष्टि से आज जैविक खेती को बढ़ावा मिलना चाहिए। अत्यधिक कृषि रासायनों एवं उर्वरकों के उपयोग से जमीन पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। खाद्यान्न पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके प्रति किसानों को जागरूक बनाना चाहिए। जैविक खेती को बढ़ावा देकर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। जैविक खेती द्वारा मृदा की प्राकृतिक उर्वरता भी बनी रहती है। पर्यावरण का क्षरण भी न्यूनतम होता है। किसानों के लिए आनलाइन लाइन फसल उत्पाद बेचने की व्यवस्था उपयोगी साबित होगी। इससे किसान कृषि उत्पादों को आसानी से उपयुक्त बाजार में बेच सकेंगे। इस तकनीक में बिचैलिए नहीं होंगे। किसान को उनके उत्पाद का पर्याप्त मूल्य मिलेगा। किसानों की आय दोगुनी करने की योजना आगे बढ़ेगी। उत्पादों को बेचने के लिए बाजार उपलब्ध होगा। उनकी आमदनी में अपेक्षित वृद्धि हो सकेगी। पारम्परिक खेती में नवीनतम तकनीकों का समावेश लाभप्रद होगा। प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’ बहुत बड़ी भूमिका है। आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए परम्परागत उद्योग में वोकल फॉर लोकल के इस अभियान को प्राथमिकता से आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा रहा है। परम्परागत उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश सरकार की नीति बहुत स्पष्ट है। इन उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए केन्द्र एवं प्रदेश सरकार ने अनेक योजनाएं पहले से लागू की हैं। आत्मनिर्भर पैकेज में प्रधानमंत्री ने एमएसएमई उद्योगों के लिए सरलता से ऋण उपलब्धता की कार्यवाही को आगे बढ़ाया है। इसके माध्यम से प्रदेश के अनेक क्षेत्रों को अपने परम्परागत उत्पादों से संबंधित पुरानी पहचान मिली। स्थानीय उद्योगों का जीर्णद्धार हुआ। इसकी लोकप्रियता के साथ ही इसके स्वरूप में भी विस्तार हुआ। योगी सरकार ने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना शुरू की है। मिट्टी के बने बर्तनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे कुम्हारों को लाभ मिल रहा है। माटी कला बोर्ड का गठन किया गया। कुम्हारों तथा इस उद्योग से जुड़े लोगों तालाबों से निःशुल्क मिट्टी दिए जाने का निर्णय लिया है। इलेक्ट्रिक चाक के माध्यम से कारीगरों की क्षमता में कई गुना वृद्धि हुई। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
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