क्या करेंगे नीतीश के राम?
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
बिहार के बड़े नेताओं में गिने जाने वाले राम चन्द्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खासमखास थे लेकिन जनता दल(यू) ने उनको राज्यसभा में नहीं भेजा। राज्यसभा की सदस्यता जाते ही उनको केन्द्रीय मंत्रिमंडल से त्याग पत्र भी देना पड़ा। नीतीश कुमार ने उनको पार्टी की कमान सौंपी थी लेकिन जब 2019 में केन्द्र में जद(यू) कोटे से मंत्री बनाने की बात आयी तो आरसीपी सिंह ने नीतीश की बात टाल दी। नीतीश कुमार दो मंत्री चाहते थे, भले ही राज्यमंत्री बनें लेकिन रामचन्द्र प्रकाश सिंह ने केन्द्रीय मंत्री का सौदा कर लिया। अब केन्द्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आरसीपी सिंह अगला क्या कदम उठाते हैं, यह बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण होगा। आरसीपी सिंह कहते हैं कि मैं सीधा आदमी हूं और सीधी राह चलता हूं। खबर है कि वे भाजपा में जाना चाहते हैं लेकिन उधर से हरी झंडी नहीं मिली है। नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह के समर्थकों को भी किनारे करना शुरू कर दिया है। जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह उनकी भूमिका तय करेंगे अथवा वे स्वयं कोई राह बनाएंगे?
केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद रामचंद्र प्रसाद सिंह पटना पहुंचे। पटना एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। इसके बाद आरसीपी सिंह ने पटना एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत करते हुए कई ऐसी बातें कहीं जो आने वाले समय की उनकी राजनीति कैसी होगी, इस ओर संकेत करती हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना क्या आपकी पार्टी का धोखा है? इस पर आरसीपी सिंह ने दो टूक कहा कि मुझे क्या कोई धोखा देगा मैंने अपनी ताकत और परिश्रम से अपनी अलग पहचान बनाई है। मुझे पहचान का कोई संकट नहीं है। मुझमें काफी आत्मविश्वास है और मुझे अभी बहुत कुछ करना है। अभी और पहचान बनेगी क्योंकि मुझमें काफी ऊर्जा और सकारात्मक सोच है। अलग पार्टी बनाने के सवाल पर आरसीपी सिंह ने कहा, मैं सीधा सादा आदमी हूं और मैं सीधा चलता हूं। अब तो मै जमीन पर आ गया हूं अभी मैं अपने कार्यकर्ताओं से बात करूंगा और जानकारी लूंगा कि क्या कुछ करना है लेकिन, अभी मैं अपने घर जा रहा हूं। उसके बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करुंगा, बैठक करुंगा फिर कई मुद्दों पर उनके साथ चर्चा होगी। आरसीपी सिंह ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता हमें जहां जहां बुलाएंगे, मैं वहां आऊंगा। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने पर आरसीपी सिंह ने कहा कि यह तो पत्रकार को ही पता है। 2 दिन पहले चली खबर (बीजेपी में शामिल होने की) किस तरीके से चली है, यह सब जानते हैं। आरसीपी सिंह ने कहा कि मैं एनडीए का नेता हूं और विभाग के काम के सिलसिले में तेलंगाना गया था। जब एयरपोर्ट पर उतरा तो उन्होंने मुझे सम्मानित किया था जिसे गलत तरीके से पेश किया गया। अपने समर्थकों को जदयू से निकाले जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं को निकाला गया, यह ठीक नहीं है। मैं पार्टी के कार्यकर्ताओं से चर्चा करुंगा, बात करुंगा। आरसीपी सिंह के पटना आने के बाद जदयू के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इशारों में चुटकी लेते हुए हमला भी बोला है। उन्होंने कहा कि जदयू के कार्यकर्ता हैं और कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे। वह किस रूप में काम करेंगे मैं नहीं जानता हूं, यह तो पार्टी का आलाकमान फैसला करेगा।
बहरहाल, तनावपूर्ण माहौल में ही केंद्रीय मंत्री के पद से आरसीपी सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। मगर इसके साथ ही ये सवाल उठने लगे हैं कि अब आगे आरसीपी सिंह का सियासी भविष्य क्या होगा? क्या आरसीपी सिंह जदयू में रहकर सियासी पारी आगे बढ़ाएंगे या फिर जेडीयू को छोड़ किसी दूसरी पार्टी का दामन थामेंगे? राजनीति के जानकार बताते हैं कि आरसीपी सिंह के लिए दूसरा विकल्प अधिक मुफीद नजर आ रहा है। इस बीच जदयू के मुख्य प्रवक्ता ने जो बात कही है, इससे भी यही संकेत मिल रहा है कि आरसीपी सिंह के लिए जदयू ने स्पष्ट संदेश दे दिया है। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार इस मामले में कहते हैं जेडीयू कार्यकर्ताओं की पार्टी है और हर कार्यकर्ता जेडीयू को आगे बढ़ाने की कवायद में दिन रात लगा हुआ है। अब आरसीपी सिंह अपनी भूमिका पार्टी में क्या तय करते हैं, यह उन्हें तय करना है। उन्हें यह तय करना है कि वो कार्यकर्ता की तरह नेता और नेतृत्व के प्रति निष्ठा को कायम रखते हुए पार्टी में अपनी भूमिका स्वयं क्या देखते हैं और पार्टी को कैसे आगे बढ़ाते हैं। राजनीति के जानकारों की नजर में नीरज कुमार के बयान से साफ है कि जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व का आरसीपी सिंह को लेकर जो रुख है, वो साफ-साफ इशारा करता है कि आरसीपी सिंह के लिए जेडीयू में रहकर राजनीति करना आसान नहीं होगा। ऐसे में आरसीपी सिंह जेडीयू में रहकर राजनीति को आगे बढ़ाएंगे इसकी उम्मीद कम दिखती है। दूसरी ओर भाजपा के साथ आरसीपी सिंह की नजदीकी साफ दिखती है। आरसीपी सिंह का 6 जुलाई को जन्मदिन था तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर कई केंद्रीय मंत्रियों ने जन्मदिन की बधाई दी, लेकिन जद(यू) से किसी ने भी बधाई नहीं दी।
सबसे विशेष यह कि प्रधानमंत्री मोदी ने आरसीपी सिंह के काम की तारीफ की थी। हालांकि, राजनीति के जानकारों के अनुसुार, इतना कुछ होने के बाद भी भाजपा आरसीपी सिंह को अपने साथ लेने की जल्दबाजी नहीं दिखाने वाली है क्योंकि भाजपा को भी पता है कि इससे बिहार में भाजपा और जद(यू) के संबंध पर सीधा असर पड़ सकता है। जाहिर है भाजपा ऐसा फिलहाल नहीं चाहेगी, क्योंकि भाजपा और जदयू बिहार की सत्ता में साझीदार है। राजनीति के जानकार इस मामले में कुछ और भी स्थिति देखते हैं। दरअसल, आरसीपी सिंह के लिए अपनी अलग पार्टी बनाकर आगे की राजनीति करने का भी विकल्प बचता है, मगर यह इतना आसान नहीं होगा। इसके पीछे दो बड़ी वजह है। पहला तो आरसीपी सिंह को कार्यकर्ताओं और नेताओं का उतना सपोर्ट नहीं दिख रहा है। दूसरा यह भी कि वे जिस जाति से आते हैं, उसी जाति से नीतीश कुमार भी आते हैं। नीतीश कुमार के रहते इस जाति की सहानुभूति आरसीपी सिंह को कितनी मिलेगी यह देखने वाली बात होगी। आरसीपी सिंह के एक नजदीकी ने बताया कि आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बिहार आकर थोड़ा इंतजार करेंगे और बिहार के सियासी नब्ज को पहचानने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही वे सही समय का इंतजार करेंगे ताकि सही समय पर अपनी सियासत को आगे बढ़ाया जा सके। बहरहाल आरसीपी सिंह के लिए आगे के विकल्पों के बात के साथ ही अभी भी दुविधापूर्ण स्थिति है। नीतीश ने जद(यू) की कमान वरिष्ठ नेता ललन सिंह को थमा दखी है जो आरसीपी सिंह को पसंद नहीं करते।
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