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हम कठपुतली है ईश्वर की

हम कठपुतली है ईश्वर की

सारी दुनिया रंगमंच है 
खेल वही दिखलाएगा 
हम कठपुतली है ईश्वर की 
चाहे जिसे नचायेगा

नीली छतरी वाला बैठा 
डोर वही हिलाएगा 
न्यारे न्यारे दे किरदार 
अभिनय खूब कराएगा

हमको रोल निभाना प्यारे 
बाजीगर खेल दिखाएगा 
हम कठपुतली है ईश्वर की 
मरजी वही चलाएगा

भांति भांति के दृश्य बदलता
कुदरत नजारे मनभावन 
कभी जेठ की दोपहरी तो 
कभी झड़ी रिमझिम सावन

निर्झर झरना बहता रहता 
बहती पावन गंगा धारा 
हम कठपुतली है ईश्वर की
मालिक वो भगवान हमारा

पर्वत नदिया वन उपवन है
धरा गगन चांद तारे
तपती लूएं चले धोरों में 
बागों में बहती बहारें 

भुजदंडों में रक्त शिराएं 
शौर्य का करती उत्थान
हम कठपुतली है ईश्वर की
घट घट वासी हैं भगवान

झूठी निंदा झूठा झगड़ा 
काम क्रोध मद लोभ है
बारी बारी पात्र बदलता 
कहीं कष्ट कहीं पर मौज है

शतरंज सी चाले चलता 
मोहरा समझ नहीं पाता 
उसके एक इशारे पर ही 
दृश्य सारा बदल जाता 

उसके हाथों डोर सभी की 
सुख दुख वही दिखाता है 
हम कठपुतली है ईश्वर की
पल-पल हमें नचाता है

जादूगर के खेल निराले 
लीला अपरंपार है
हम कठपुतली है ईश्वर की 
रंगमंच संसार है

रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
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