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अफसरशाही को समझने में चूक

अफसरशाही को समझने में चूक

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये जितिन प्रसाद को यूपी की अफसरशाही के बारे में गफलत थी। एक समय था जब दिल्ली में उनके पिता जितेन्द्र प्रसाद जी राजीव गांधी के आंख-कान हुआ करते थे। उनका दबदबा पीवी नरसिंहराव के समय तक रहा। उस समय उत्तर प्रदेश की अफसरशाही जितेन्द्र प्रसाद जी के परिवार के प्रति वफादार हुआ करती थी। इसके बाद गोमती में बहुत सारा पानी बह चुका है। अभी कुछ दिन पहले ही सत्तारूढ़ दल के एक नेता ने कहा था कि यहां के कुछ अफसरों में साइकिल और हाथी का रंग चढ़ा हुआ है। मतलब, कांग्रेस को कहीं नामोनिशान ही नहीं रह गया है। भाजपा में आकर जितिन प्रसाद को योगी आदित्यनाथ की सरकार में अति महत्वपूर्ण समझा जाने वाला लोक निर्माण विभाग दिया गया। यहां तो एक से बढ़कर एक घाघ अफसर-इंजीनियर बैठे हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का रंग भी उन पर चढ़ा हुआ है। इसलिए जितिन प्रसाद पीडब्ल्यूडी विभाग की अफसरशाही को समझने में चूक गये। तबादलों को लेकर उनकी बदनामी तो हुई, साथ ही योगी सरकार की भी किरकिरी हुई है। इसी महीने की 4 तारीख को योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के सौ दिन पूरे हुए थे। सीएम ने सौ दिन का रिपोर्ट कार्ड पेश किया था। इस रिपोर्ट कार्ड में भी सरकार की प्रमुख उपलब्धि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई थी। योगी आदित्यनाथ ने उस समय अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक को बेहतर ढंग से सरकारी कार्य करने की नसीहत दी थी। अब लोकनिर्माण विभाग में अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के साथ तबादलों को निरस्त किया जा रहा है लेकिन जितिन प्रसाद के लिए चेतावनी भी है कि वे आंख-कान खुले रखें।

अभी कुछ दिन पहले पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तब की गई, जब स्थानांतरण नीति का पालन न करने और अनियमितताओं को लेकर विवाद हुआ था, जिसके कारण 18 जुलाई को विभागीय मंत्री जितिन प्रसाद के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) अनिल कुमार पांडे को भी हटा दिया गया था। प्रधान अभियंता (विकास) और विभागीय प्रमुख मनोज कुमार गुप्ता, प्रधान अभियंता (परियोजना एवं नियोजन) राकेश कुमार सक्सेना और सीनियर स्टाफ अधिकारी शैलेंद्र कुमार यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। इतना ही नहीं, प्रशासनिक अधिकारी पंकज दीक्षित और प्रमुख सहायक संजय कुमार चैरसिया को भी निलंबित किया गया और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक जांच शुरू कर दी गई है। लोक निर्माण विभाग में चालू स्थानांतरण सत्र में गंभीर अनियमितताएं सामने आने के बाद आदित्यनाथ ने कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की थी। समिति ने 16 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी और इसके निष्कर्षों के आधार पर मुख्यमंत्री ने इन कर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए थे। बताया जा रहा है कि विभाग में 150 से अधिक तबादले किये गये हैं और वे ‘मनमाने’ लगते हैं। कुछ अभियंताओं को दो पद दिये गये हैं जबकि कुछ मामलों में एक से अधिक अधिकारियों को एक पद पर तैनात किया गया है। उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर नीति के खिलाफ जाकर लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी में किए गए तबादले अब रद्द हो रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक्शन के बाद पीडब्ल्यूडी में 60 से अधिक इंजीनियरों के तबादले रद्द होंगे, इस बाबत विभागीय मंत्री जितिन प्रसाद ने जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद निर्देश दे दिए। माना जा रहा है कि ट्रांसफर नीति का उल्लंघन करने वालों पर गाज भी गिरेगी पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद ने निर्देश दिया कि एक ही जिले में सालों से जमे इंजीनियर हटाए जाएंगे और पीडब्ल्यूडी में मुख्यालय की संबद्धता में लापरवाही पर भी कार्रवाई होगी। बता दें कि लोक निर्माण विभाग में तबादलों को लेकर पीडब्ल्यूडी के 5 अफसरों पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश में पीडब्ल्यूडी विभाग में ट्रांसफर से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में योगी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय का तबादला कर दिया गया है, जबकि पांच अन्य अधिकारियों को राज्य सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद निलंबित कर दिया गया है। पीडब्ल्यूडी विभाग जितिन प्रसाद के अंडर में है और उनका विभाग ट्रांसफर पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सवालों के घेरे में है।

पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय को ट्रांसफर से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाया गया है, जिसके बार उनके ऊपर गाज गिरी है और उन्हें तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया गया है। इतना ही नहीं, भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति पर आए अनिल पांडेय के खिलाफ विजिलेंस जांच और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति भी की गई है। बता दें कि पांडेय को जितिन प्रसाद ही दिल्ली से यूपी लेकर आए थे। 18 जुलाई को अनिल कुमार पांडेय के खिलाफ कार्रवाई के बाद लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी के प्रमुख और मुख्य अभियंता मनोज गुप्ता सहित कुल पांच अधिकारियों को लोक निर्माण विभाग में ट्रांसफर अनियमितताओं के कारण निलंबित कर दिया गया। पांडेय ने इससे पहले भी जितिन प्रसाद के साथ काम किया है, जब जितिन प्रसाद यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थे और उन्हें प्रतिनियुक्ति पर लखनऊ लाया गया था। इससे पहले योगी सरकार को तब शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी, जब डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने खुद अपने स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग में तबादलों पर सवाल उठाए थे। मंत्री ने अपने ही विभाग के शीर्ष अधिकारियों को पत्र लिखकर जवाब मांगा था। बाद में कहा गया कि मामला सुलझ गया।

बीती 4 जुलाई को यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 के 100 दिन पूरे हुए। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन 100 दिनों का रिपोर्ट कार्ड भी पेश किया। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती 100 दिन काफी खास रहे हैं। सौ दिनो में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ गहरी छाप छोड़ी है। सरकार में आते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले राज्य के मंत्रियों को दी ट्रांसफर, पोस्टिंग पट्टे से दूरी रखने की नसीहत दी। साथ ही मंत्रियों के निजी सचिवों पर निगाह रखने की सलाह दी गई तो वहीं सरकारी काम में रिश्तेदारों को दूर रखने को कहा गया। इसके साथ ही मंत्रियों से उनकी संपत्ति की घोषणा करने का आग्रह किया साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई हुई।

31 मार्च को भ्रष्टाचार के मामले में सोनभद्र के डीएम टीके शिबू को निलंबित किया गया। 4 अप्रैल को औरैया के डीएम सुनील कुमार वर्मा को सस्पेंड किया गया। 5 मई को भ्रष्टाचार के आरोप में गाजियाबाद की डीएम रही निधि केसरवानी निलंबित हुईं। राज्य सरकार के मंत्रियों ने अस्पतालों, तहसीलों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनीं। जनता की सुनवाई के लिए मंत्रियों ने चैपाल लगाई, उनकी रिपोर्ट पर अमल करने के निर्देश गए। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने माफियाओं पर सख्त रुख अख्तियार किए हुए है। प्रदेश में कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के मकसद से चलाए गए अभियान में अब तक कुख्यात अपराधियों की 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति को ध्वस्त अथवा जब्त की गई है। प्रदेश के गृह विभाग ने जिलों में पुलिस अधीक्षकों और जिलाधिकारियों को नए सिरे से अभियान चलाकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया था कि जनमानस में सुरक्षा की भावना और अधिक सुदृढ़ करने तथा अपराधियों के अन्दर कानून के भय का माहौल पैदा करने के मकसद से अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेन्स की नीति अपनाई जा रही है।
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