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सदैव आपका दर्शन

सदैव आपका दर्शन 

         ---:भारतका एक ब्राह्मण.
            संजय कुमार मिश्र'अणु'
एक बार श्रीकृष्ण
पुछ बैठे पितामह से
आप तो बडे शूरवीर रहे
आपको लोग बडे धर्मी मतिधीर कहे
फिर भी अधर्म का साथ दिया
आखिर ऐसा क्या था
तब पितामह ने करवद्ध कहा
सुनिए केशव
मैं कुरुक्षेत्र में जो कुछ किया
सब सोच समझकर किया
धर्मात्मा पांडवों को छोड
अधर्मी कौरवों का साथ दिया
आप पुछ रहे हैं .... किसलिए
तो सुनिए केशव..... वह इसलिए
कि यदि हम रहते साथ पांडवों के
तो देखते रह जाते कौरवों को
हम या तो पांडवों के पीछे होते
या फिर होते आगे
और बने रह जाते अभागे
रहते भले अर्जुन के अगल-बगल
पर नहीं देख पाते आपको पल- पल
मेरी इच्छा थी हो सदैव आपका दर्शन
रहें सम्मुख भले हो काल का नर्तन
इसलिए हम दिये कौरवों के साथ
कि हर घडी दर्शन देते रहें जगन्नाथ
सुन पितामह के वचन
भर आये पांडवों के नयन
सब बोले पितामह धन्य हैं आप
जो हरि दर्शन के लिए उठाये चाप
वह भी चुपचाप
समझकर भी अधर्मी कौरवों का पाप
पितामह धन्य हैं आप
आप धन्य हैं
सारी सृष्टि में आज न आप सा
कोई अन्य है
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वलिदाद,अरवल(विहार)८०४४०२.
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