मानव जीवन अजीब है
बड़े अजीब किस्से है।
इस मानव जीवन के।
न ये हँसता है न रोता है।
पता नहीं किसे देखता है।।
देखकर इस उदासी को।
दर्द अपनो को होता है।
जो समझते और जानते है।
इसलिए लिए परेशान होते है।।
वो दिलसे बहुत चाहते है।
और प्रार्थना भी करते है।
सुख दुख को अपनाते है।
इसलिए वो साथ रहते है।।
भूलने की कोशिश करते है।
ध्यान प्रभु भक्ति में लगाते है।
पर मन उसी ओर दौड़ता है।
जिसके द्वार बंद करना चाहते है।।
ये जिंदगी भी बड़ी अजीब है।
कही धूप है तो कही छाव है।
पल भर में प्राण निकल जाते है।
पर फिर भी मरने से डरते है।।
आना और जाना निश्चित है।
हर फल खाना जरूरी है।
स्वाद का तो कहना क्या है।
मौसम में मीठा और वे मौसम
में कड़वा लगता है।।
इसी को हम और आप
मानव जीवन कहते है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबईहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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