दिन रात उजालों में रहने वाले
क्या जानेगें अंधेरा क्या होता है।
बस खनती पयाल की झंकार
और गीतों की पुकार जानते है।
चंद पैसों की खातिर ही सही
ये कलाकार खुशियां बेचते है।
जो अमीरजादो की शाम को
हर दिन रंगीन बना देते है।
उन्हें आनन्द की अनभूति
और उनकी थकान मिटाकर।
स्वयं फिरसे उसी अंधेरे में
लौट जाया करते है।।
कला जो अनमोल होती है
वो अब बाजारों में बिक रही है।
कला के पुजारी भी आजकल
पेट की भूख के लिए बिक रहे है।
बड़े बड़े होटलों और क्लबो में
कलाकारों की कला बिक रही है।
जिसके चलते करोड़ो का
व्यापार देश में फलफूल रहा है।
पर उस कलाकार की जिंदगी
तब तक ही है जब तक उसकी।
आवाज में कसक और पायल में
खनक की गूँज बाकी है।।
दुनियां के बाजारों में
हर चीज बिक रही है।
खानेपीने की चीजों की तरह
इंसानियत भी बिक रही है।
बस पारखी और जानकार
इन चीजों का होना चाहिए।
जो अपने फायदा नुकसान को
इन सबके खरीदने से जान सके।
हमें तो मतलब है दौलत से
इंसानो के मूल्य का क्या करना।
जो अंधेरो में रहने के आदि है
उन्हें क्या पता दौलत का नशा।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबईहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews
https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com