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"इनसे हैं हम" पुस्तक पर परिचर्चा एवं बहुभाषी काव्य गोष्ठी सम्पन्न

"इनसे हैं हम" पुस्तक पर परिचर्चा एवं बहुभाषी काव्य गोष्ठी सम्पन्न

अंतरराष्ट्रीय शहर समता विचार मंच, कामरूप शाखा,असम के तत्वावधान में 21/07/22 को अपराह्न 3 बजे से गुवाहाटी प्रेस क्लब के कॉन्फ्रेंस हॉल में बहुचर्चित पुस्तक "इनसे हैं हम" पर परिचर्चा एवं बहुभाषी काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत कुमुद शर्मा"काशवी" द्वारा सभी का अभिवादन करते हुए स्वागत उद्बोधन एंव अतिथियों का परिचय देते हुए आसन ग्रहण कराने से हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता का कार्यभार मंच की अध्यक्षा अवनीत कौर "दीपाली" ने सँभाला। प्रातः खबर के प्रधान संपादक श्री चंद्रप्रकाश शर्मा जी "मुख्य अतिथि", प्रागज्योतिष कॉलेज की अवकाश प्राप्त प्रोफेसर एवं लेखिका, साहित्यकारा डॉ.सुचित्रा काकोती "अतिविशिष्ट अतिथि", आयुर्वेदाचार्य, साहित्यकार ,समाजसेवी श्री शंकरलाल पारीक जी "विशिष्ट अतिथि",और जानी मानी साहित्यकारा एवं अनुवादक हरकीरत हीर जी की "विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थिति ने सभा को गौरवांवित कर दिया।आमंत्रित अतिथियों का स्वागत फुलाम गामोसा से किया गया।।तत्पश्चात अध्यक्षा अवनीत कौर दीपाली ने माँ सरस्वती के आगे दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। रीतामणि भुयाँ ने अपने सुमधुर कंठ से सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। सुश्री दीपाली ने मंच के उद्देश्यों की व्याख्या करते हुए कहा कि यह महिलाओं का मंच है और इस मंच की खास विशेषता यह है कि इसकी हर महीने "शहर समता" नामक मासिक पत्रिका निकलती है जिसमें महिला साहित्यकारों द्वारा रचित रचनाओं को शामिल किया जाता है। "इनसे हैं हम" पुस्तक पर परिचर्चा करते हुए लेखकीय तौर पर इससे जुडी़ अवनीत कौर दीपाली, कुमुद शर्मा काशवी, मालविका रायमेधि दास "मेधा" ने पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए इससे जुडे़ अपने मंतव्य साझा किए। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय जन महासभा के अध्यक्ष श्री धर्मचंद्र पौद्दार जी और संरक्षक/प्रेरणास्रोत श्री आर के अग्रवाल जी के कुशल नेतृत्व एंव डॉ.अवधेश कुमार "अवध" जी द्वारा संपादित पुस्तक "इनसे हैं हम" भारत के उन गौरवशाली महापुरुषों को भावभीनी श्रद्धांजलि है जिन्हें या तो इतिहास के पन्नों में समुचित स्थान नहीं मिला या उनके बलिदानों को बिसरा दिया गया। "इनसे हैं हम" पुस्तक विस्मृत इतिहास को उजागर कर नवयुग में नवचेतना का आगाज है जिसमें पूरे भारतवर्ष से सम्मिलित इक्यावन प्रबद्ध लेखकों द्वारा इक्यावन महापुरुषों के गौरवशाली इतिहास का प्रेरणादायक वर्णन है। "इनसे हैं हम" पुस्तक पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखते हुए श्री शंकरलाल पारीक जी ने भी हमारे गौरवशाली महापुरुषों से जुडी बहुत सी महत्वपूर्ण बातों से हमें अवगत कराया। चंद्रप्रकाश शर्मा जी के विचारों को सुनकर ऐसा लगा जैसे वे महिलाओं का बहुत सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि हर वो महिला चाहे माँ, बेटी, पत्नी, बहन कोई भी हो हमारे लिए पूजनीय है, वो चाहे कम पढी़ लिखी हो पर हमारे मनोभावों को समझने में अग्रणी है। "प्रातः खबर" के प्रांगण में ही पुस्तकालय खुलने की जानकारी भी उन्होंने साझा की। डॉ. सुचित्रा काकोती ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्त्री- पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं, वे दोनों समानांतर हैं अतः दोनों में से कोई एक भी पीछे रह जाएगा तो समाज आगे नहीं बढ़ पाएगा। कुमुद शर्मा "काशवी" ने स्वरचित पंक्तियों द्वारा काव्यगोष्ठी का शानदार संचालन किया। सभी ने विभिन्न भावों से भरपूर प्रभावी काव्य पाठ किया। काव्य गोष्ठी में अंजना जैन, पुष्पा सोनी, आभा कुमारी चौधरी, कांता अग्रवाल, मंजुलता शर्मा, सविता जोशी, कल्पना कश्यप, अंजलि मुखिया, धरित्री देवी, रीमा दास, सौमित्रम, हेमलता गौलछा, रायमेधि दास "मेधा", रीतामणी भूयाँ, जूरी बैश्य, पुष्पा खेमका, मीनाक्षी देवी, प्रतिभा शर्मा, प्रज्ञा, माया शर्मा, गीता दत्ता सहरिया, कुमुद शर्मा "काशवी",अवनीत कौर "दीपाली" ने स्वरचित कविता पाठ कर गोष्ठी को सर्वोत्तम सफलता प्रदान की।साहित्यकारा हरकीरत हीर जी ने अपनी बहुचर्चित कविता "बदमाश औरत" सुना कर सभी को भाव विभोर कर दिया। मंच की उपाध्यक्षा गीता दत्ता सहरिया ने सभी का आभार प्रकट कर धन्यवाद ज्ञापन किया। असम संगीत के साथ सभा समाप्ति की घोषणा की गई।
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