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निकालना होगा हल

निकालना होगा हल

        ---:भारतका एक ब्राह्मण.
           संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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आजकल
कहाँ बरस रहा है बादल
सावन सुखा-सुखा है
गायब है हरियाली
प्यासी दिख रही है धरती
बिना जल
एकदम शून्य है आकाश
जैसे खाली तिजोरी
और ये सूर्य का ताप
हर मन में भर दिया परिताप
बनाकर अति निर्बल
गांवों के खेत
जाकर देखो उड रहा है रेत
न कहीं कजरी है न मल्हार
न कहीं किचड है और दलदल
देख दुखी है मन
न कहीं दादुरों का शोर है
न कही मन मयूरों का नर्तन
सोंचने वाली बात है
आखिर ऐसा कैसे हो गया धरातल
यदि रही प्रकृति की ऐसी उपेक्षा
तो मांगने से भी नहीं मिलेगी भिक्षा
निकालना होगा हल
आज और इसी पल
जब नहीं बरसेगा जल
कैसे उपजेगा अन्न फल
      बिना बादल बिना जल
      देखो धरती रही जल
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वलिदाद,अरवल(विहार)८०४४०२.
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