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अल्मोड़ा में हिमाद्री ने महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

अल्मोड़ा में हिमाद्री ने महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

अल्मोड़ा। आधुनिक युग में लोगों का काम कम हुआ है। अब लोगों के बदले मशीनों ने जगह ले ली है, तो वहीं अल्मोड़ा के डीनापानी में महिलाओं के द्वारा आज भी हाथ से कपड़ों का निर्माण किया जा रहा है। अल्मोड़ा के डीनापानी में स्थित है हिमाद्री हंस हैंडलूम, जहां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नंदा देवी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हैंडलूम एंड नेचुरल फाइबर्स में हाथ से बुने हुए कपड़े बनाए जा रहे हैं। साल 2017 में हंस फाउंडेशन ने इस पर काम करना शुरू किया। इस वक्त यहां करीब 150 महिलाओं काम कर रही हैं

हिमाद्री हंस हैंडलूम में हस्तनिर्मित यानी कि हाथ से बने हुए उत्पादों का निर्माण महिलाओं द्वारा यहां किया जाता है। इन उत्पादों में पश्मीना शॉल, स्कार्फ, स्टोल, मेरिनो टॉप्स शॉल, लैंब वूल शॉल, अल्मोड़ा ट्वीड आदि शामिल हैं। यहां बनाए जा रहे कपड़ों की मांग देश-विदेशों में भी है। आने वाले समय में इस संस्था से अन्य लोगों को भी जोड़ा जाएगा। सीनियर मर्चेंडाइजर सैय्यद अंजुम अली बताती हैं कि यहां करीब 150 महिलाएं काम कर रही हैं। यहां हैंडलूम के द्वारा महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है। इसके अलावा गांव में भी महिलाओं को हैंडलूम वर्क से जोड़ा जा सके, इसके लिए गांव में सामग्री मुहैया कराई जा रही है, जिससे वहां की महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन सकें और वह भी यह काम सीख सकें। हिमाद्री हंस फाउंडेशन में काम करने वालीं मंजू बिष्ट बताती हैं कि वह यहां पांच साल से काम कर रही हैं। यहां काम करने से उनका घर-परिवार चल रहा है। यहां हाथ से निर्मित कपड़े बनाए जाते हैं। बुनकर गीता बिष्ट ने बताया कि यहां बुनाई, शॉल और कटाई आदि का काम होता है। यहां सभी महिलाएं एक साथ मिलकर अलग-अलग काम में सहभागिता निभाती हैं, जिससे सभी महिलाओं को रोजगार मिला है।
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