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हाय रे मेरी तोंद

हाय रे मेरी तोंद

मोटी मोटी थुलथुली सी, लंबी चौड़ी मेरी तोंद। 
भीड़ में भी न्यारी लगे, हाय रे मेरी तोंद। 

लंबोदर सी दुंद मेरी, नजारा मनभावन सा। 
उमड़ आई हो घटाये, मन लुभाये सावन सा। 

ट्रैफिक जाम हो जाए, बस में चिपके बिन गोंद। 
सवारियां मुड़ मुड़कर देखे, हाय रे मेरी तोंद।

भारी भरकम पेट मेरा, मटके जैसी मेरी तोंद।
गोल मटोल प्यारी प्यारी, हाय रे मेरी तोंद।

तोंद देख बच्चे हंसते, नारियां भी मुस्काती है। 
एक अजब सी हंसी, सबके चेहरों पे छा जाती है।

गाड़ी मोटर रिक्शा में भी, असर दिखाती तोंद। 
चार चार की सीट रोक ले, हाय रे मेरी तोंद।

दिनभर गटक माल गटके, स्वादिष्ट से पकवान। 
हाथ फेरे पेट पर, मेरी तोंद की निराली शान।

रमाकांत सोनी सुदर्शन 
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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