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मिले और बिछड़े

मिले और बिछड़े

ब्याह हुआ है हाल ही में,
और हुआ है प्रीत मिलन।
उनकी प्यारी प्यारी बातें, 
कैसे भूल जाये हम।
जिन पर हुये फिदा हम
और दिया अपना तन मन। 
मानो जैसे मिली है जन्नत,   
मुझको उनसे अभी अभी।।

दिल दिमाग पर वो छाये है,
जैसे मानो वो परछाई मेरी।
कैसे छोड़कर जाऊं उनको,
जो अब आत्मा है मेरी।
पर क्या करे अब हम,
आ गया जो सावन। 
छोड़ पिया को जाना पड़ेगा, 
माँ बाप के आंगन।।

कलतक जिसके लाड़ प्यार में, 
डूबी रहती थी मैं।
उनसे भी प्यारे हमें,
अब प्रीतम लगते है।
छोड़कर जाने का उन्हें, 
अब मेरा मन होता नहीं।
रीति रिवाज की खातिर,
जाना पड़ेगा उन्हें छोड़कर।।

दिन रात सताएंगी यादे
 उनकी।
तो यादों में ही खो जाऊंगी।
बिन उनके क्या मैं,
अब वहां रह पाऊंगी।
कुछ भी करके मैं उन्हें,
मायके में बुल बाऊँगी।
और बिछड़े हुए दो
दिल को मिल बाऊंगी।।

जय जिनेंद्र 
संजय जैन "बीना" मुम्बई 
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