एन०सी०सी निदेशालय बिहार के द्वारा जन भागीदारी तिरंगा मार्च : 13 अगस्त 2022 हर घर तिरंगा अभियानका आयोजन किया गया
आज एन०सी०सी निदेशालय बिहार तथा एन०सी०सी उड़ान के द्वारा जन भागीदारी तिरंगा मार्च : हर घर तिरंगा अभियान का आयोजन किया गया। मौर्या लोक परिसर स्थित विवेकानंद से आशिस ले ये युवा आयकर गोलंबर पहुंचकर आर० ब्लॉक कि और मुड़ जाते है , आर० ब्लॉक पहुंच कर तिरंगे से लेश युवाओ का यह दल विश्व प्रसिद्ध सचिवालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर बने सप्तमूर्ति स्मिर्ति पहुंचते है, जैसा जोश और कुछ कर डालने कि तम्मना जैसी भावना इसमें मौर्या लोक काम्प्लेक्स में थी उससे कही ज्यादा सप्तमूर्ति स्मृति के पास दिख रही थी। पद यात्रा में ऐसी स्थिति अद्भुत थी और पहले ऐसा नहीं देखा गया था।
हज़ारो कि तादाद में तिरंगे ने राजधानी बासियो को आने वाले स्वतंत्रता दिवस में तन - मन सहयोग और गुंजयमान नारो के साथ शामिल होने कि प्रेरणा दी।
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी ऐतिहासिक नगरी पटना एक बार फिर इस बात का गवाह बन गयी कि हममे अभी भी आज़ादी से जुड़े जज्बा जोश और जूनून फीकी नहीं पड़ी है बल्कि इसमें कई गुणा इजाफा हुआ। मौर्या लोक परिसर स्थित युवाओ के आदर्श तथा विदेशो में भारत कि मेधा का लोहा मनवाने वाले अद्वितीय पुरुष विवेकानंद के चारो तरफ एकत्रित हो गयी युवा-युवतिया, तिरंगे को लहराते बाहर ज्यो ही नकली, गगनभेदी नारो से राजधानी की धरती तो हिली ही युवाओ का वक्ष और जोश और मानो देश के प्रति उत्तेजित हो उठा।
मौके पर उपस्थित कारगिल युद्ध में अग्रणी भूमिका निभाने वाले अपर महानिदेशक एन०सी०सी निदेशालय बिहार एवं झारखण्ड मेजर जनरल एम० इन्द्रबालन ने कहा की पूरी दुनिया इस बात से बाक़िफ़ है कि पटना के साथ शहीदी रण बांकुरो ने राष्ट्रिय ध्वज को तब तक थामे रखा जब तक की इसे वे सचिवालय के शीर्ष पर लहरा नहीं दिया। इस बीच गोलिया कहते रहे शहीद होते रहे।
जन भागीदारी तिरंगा मार्च में शामिल भूतपूर्व मंत्री पथ निर्माण विभाग बिहार सरकार, माननीय श्री नितिन नविन ने तय की गयी दुरी पैदल यात्रा करके पूरी की और कहा कि भारत कि एकता और अखंडता बनाये रखने के लिए आज यह जन भागीदारी तिरंगा यात्रा आज़ादी के अमृत महोत्सव के लिए अमृत समान है। एन०सी०सी निदेशालय बिहार एवं झारखण्ड तथा एन०सी०सी उड़ान ऐसे आयोजन के लिए बधाई के पात्र है।
यात्रा के अंतिम पराब पर विधान परिषद के सभापति माननीय अवधेश नारायण सिंह शामिल हुए और शेष मार्ग में मार्च में शामिल लोगो का उत्साह वर्धन करते रहे।
साल 1942 में अगस्त क्रांति के दौरान 11 अगस्त को समय दो बजे पटना सचिवालय पर झंडा फहराने निकले लोगों में से सातों युवा पर जिलाधिकारी डब्ल्यूजी आर्थर के आदेश पर पुलिस ने गोलियां चलाईं। सबसे पहले जमालपुर गांव के 14 वर्षीय को पुलिस ने गोली मार दी गई।
देवीपद को गिरते पुनपुन के दशरथा गांव के राम गोविंद सिंह ने तिरंगे को थामा और आगे बढऩे लगे। उन्हें भी गोली का शिकार होना पड़ा। साथी को गोली लगते देख रामानंद, जिनकी कुछ दिन पूर्व शादी हुई थी, आगे बढऩे लगे। उन्हें भी गोली मार दी।गर्दनीबाग उच्च विद्यालय में पढऩे वाले छात्र राजेन्द्र सिंह तिरंगा फहराने को आगे बढ़े लेकिन वह सफल नहीं हुए। उन्हें भी गोलियों से ढेर कर दिया गया।
तभी राजेन्द्र सिंह के हाथ से झंडे लेकर बीएन कॉलेज के छात्र जगतपति कुमार आगे बढ़े। जगतपति को एक गोली हाथ में लगी और दूसरी गोली छाती में तीसरी गोली जांघ में। इसके बावजूद तिरंगे को झुकने नहीं दिया। तब तक तिरंगे को फहराने को आगे बढ़े उमाकांत। पुलिस ने उन्हें भी गोली का निशाना बनाया। उन्होंने गोली लगने के बावजूद सचिवालय के गुंबद पर तिरंगा फहरा दिया। यह विश्व का एकमात्र उदहारण है, हम सभी नतमष्तक हो कर इन्हे सम्मान अर्पित करने आये है, आज़ादी के 75वे वर्ष के इस मौके पर। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा गर्व और राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक है। पवित्र तिरंगा सभी भारतीयों को एक सूत्र में बांधता है। इस झंडे के नीचे जाति-धर्म और पंथ से ऊपर उठकर हिंदुस्तानी कहलाते हैं। यही भावना देश और लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करती है। खुली हवा में सांस लेने और आजादी से जीने की ताकत देती है।
झंडे के नीचे न कोई राजा है न रंक, न अमीर है न गरीब, न मजदूर है न मालिक,सब एक समान हैं। तिरंगा महान राष्ट्र की आत्मा और प्रत्येक भारतीय के दिल की धड़कन है। मन की बात में जैसे की हमारे माननीय प्रधानमत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा की, "तिरंगा हमें जोड़ता है, हमें देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है."
जोश और जूनून के बहाव में एन०सी०सी के मौजूदा तथा पूर्ववर्ती कैडेट्स, एन०एस०एस के वालंटियर्स, नेहरू युवा केंद्र संगठन के युवा साथीगण, लायंस क्लब के समर्पित कार्यकर्ता, रोटरी क्लब के उत्साही कार्यकर्ता विभिन्न विद्यालय और महाविद्यालयों के छात्र - छात्राएं तथा सामान्य जन भी जोश और उमंग से उबले पड़े थे।
यादे तजा कर गयी जब सप्तमूर्ति स्मृति के पास कई नाटकों का सचिव मंचन किया गया, अदिकांश तो अपने आसु रोक नहीं पाए। वो तब हुआ जब गाँधी जी कि हत्या का दृश्य जीवंत रूप में प्रस्तुत हुआ। गुस्सा लोगो में तब दिखा जब गाँधी को ट्रैन के निचे फेक दिया गया, का दृश्य दिखाया गया, भावनाओ को उकेरने में सांस्कृतिक जत्थे ने कोई कसर नहीं छोड़ी और ह्रदय को झकझोरकर रख दिया, कलाकारों में एन०सी०सी उड़ान की गुड़िया कुमारी, अतिति सेन,स्वीटी कुमारी, सोनी कुमारी आदि थी, तथा प्रस्तुति के द्वारा हर उपस्थित जन मानस को यह सोचने पर विवस किया कि तिरंगे के निर्माण में देश कि कितनी शक्ति लगी तथा अंत में चक्र ने सदा चलते रहने कि सिख देकर अपनी पूर्णता कि एवं सुरांगन के द्वारा प्रस्तुत आज़ादी के दीवाने नाटिका ने उपस्थित दर्शको कि खूब तालिया बटौरी और यह सन्देश दिया कि आज़ादी के दीवानो का यह देश हर घर झंडा लहराकर विश्व को एक प्रबल प्रजातान्त्रिक देश भारत है। । इस बीच यह बताना आवश्यक है कि सांस्कृतिक जत्था सम्पूर्ण मार्ग में अपने खुले ट्रक पर नाट्य कि प्रस्तुति करते रहे और आकर्षण का केंद्र रहे। इसके साथ साथ एस०एस०बी के बैंड के द्वारा भी कार्यक्रम किया गया।
नेचर लवर राइडर स्कार्ड भी आज कि इस तिरंगा यात्रा में शामिल रही और साथ चलते हुए राजधानी बासियो को सन्देश दिया गया कि हम एक हैं एक रहेंगे आज़ादी को अक्षुण रख्नेगे। साथ चल रहे साइकिल चालकों के जत्थे ने गगनभेदी नारो के साथ आकाश को गुंजमान करते हुए बढ़ते चले जाते थे। सम्पूर्ण कार्यक्रम का नेतृत्व पटना ग्रुप मुख्यालय का ग्रुप समादेष्टा ब्रिगेडियर कुणाल कश्यप एवं एन०सी०सी उड़ान ने सयुक्त रूप से किया।
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