15 अगस्त कैसी स्वतंत्रता ? महामंडलेश्वर डॉ अन्नपूर्णा भारती,निरंजनी अखाड़ा
15 अगस्त स्वतंत्रता अपहरण दिवस या स्वतंत्रता दिवस? भारत सरकार सन 2022 में 75 वे स्वतंत्रता दिवस को अमृत महोत्सव के रूप में मना रही है । सत्य, न्याय, मानवता के आधार पर यदि शासन तंत्र कार्य कर रहा है तो उसे स्वतंत्रता कहा जा सकता है। यह लोक व्यवहार की स्वतंत्रता का न्यूनतम मापदंड है चाहे लोकतंत्र हो या राजतन्त्र या कोई अन्य तंत्र। इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी स्वीकार करना पड़ेगा अन्यथा वह दानवाधिकार आयोग कहलाएगा ।
आज भारत में छद्म युद्ध के द्वारा हिंदुओं को समाप्त किया जा रहा है। गौ मांस खाने की खुली घोषणा करने वाले आज भी खुले घूम रहे हैं। गौ रक्षकों की आए दिन हत्याएं हो रही है उन्हें जेल में डाला जा रहा है। शहर गांव के मुख्य चौराहे चौक गली गली में शराब की दुकानें खोल दी गई है। क्रिश्चियन अंग्रेजों ने स्कूलों में गीता पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था जो आज भी लागू है । धर्मांतरण के विरोध मे कार्य करने वाले संतो को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल में डाला जा रहा है। इसकी भरपाई कौन करेगा ?
आज भी भारत का शासन तंत्र धर्मांतरण करने वाली शक्तियों के प्रभाव में कार्य करता है । नेता असली मुद्दे छुपाकर नए नए मुद्दे बनाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। हिंदू मुस्लिम मुद्दे बनाए जा रहे हैं । अलगाववादी जातिवादी मुद्दे पैदा किए जा रहे हैं। वोट बैंक के लिए हिंदुओं की जेब काटी जा रही है । छद्म धर्मनिरपेक्षता के द्वारा छद्म युद्ध के द्वारा सनातन धर्म हिंदू जनता को समाप्त किया जा रहा है। भारत के 8 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुका है भयंकर अन्याय अत्याचार सहन कर रहा है ।
अखाड़ा के दो निर्दोष साधुओं की पालघर में पुलिस के सामने पीट-पीटकर हत्या कर दी गई वहां भगवा वस्त्र धारियों को देखते ही क्रिस्चन बाहुल आदिवासी जनता हमला कर देती है। धर्मांतरण रोकने वाले उड़ीसा के स्वामी लक्ष्मणानंद के आश्रम में घुस कर उनकी और उनके छात्र छात्राओं की निर्मम हत्या कर दी गई। शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती 9 वर्ष बाद निर्दोष साबित हुए। बैंगलोर के स्वामी नित्यानंद के चरित्र हनन की सीडी फर्जी साबित हुई। वर्तमान सरकार से जान बचाकर उन्हें भारत से भागना पड़ा अलग हिंदू राष्ट्र स्थापित करना पड़ा। जबकि वो अखाड़ा के बड़े साधु संत है। दांती महाराज पर बलात्कार का झूठा आरोप लगाया गया।
संत आशाराम जी बापू पर चारित्रिक हनन का आरोप लगाने वाली लड़की की मेडिकल रिपोर्ट में लड़की का कौमार्य सुरक्षित पाया गया । बलात्कार हुआ ही नहीं है फिर भी आजीवन कारावास। बीमार होने पर भी जमानत नहीं। संविधान और न्याय की समानता के अधिकारों का खुला उल्लंघन किया गया। संत आशाराम जी बापू धर्मांतरण के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बने हुए थे इसलिए राजनीतिक षड्यंत्र करके उन्हें फंसाया गया।
15 अगस्त 1947 को अल्पसंख्यकों को बढ़ावा देकर क्रिश्चन अंग्रेजों ने भारत के टुकड़े किए। लाखों हिंदुओं की हत्या की गई लाखों हिंदू स्त्रियों का बलात्कार किया गया। अमानवीय अत्याचार किए गए जो इतिहास में पहले कभी नहीं हुए। कायरों द्वारा कायरता के कीर्तिमान स्थापित किए गए। उससे अधिक दयनीय भयावह स्थिति में आज हिंदू जा चुका है। आज भी क्रिश्चियन मुस्लिम औरंगजेबी जजिया टैक्स हिंदुओं से वसूला जा रहा है। संविधान का खुला उल्लंघन करके सन 2006 में धर्म के आधार पर अल्पसंख्याक मंत्रालय बना दिया गया । सैकड़ों योजनाओं के बहाने हिंदुओं की जेब काटकर अल्पसंख्यकों के नाम पर गैर हिंदुओं को वह सुविधाएं दी जा रही है जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं दी गई है । धार्मिक भेदभाव करके आरक्षण ,अनुदान,छात्र वृत्ति, बैंक ऋण, छूट, सुविधाएं दी जा रही है। इससे बढ़कर बाबासाहेब अंबेडकर जी का अपमान नहीं किया जा सकता है। इस अन्याय अत्याचार के कारण करोड़ों हिंदू परिवार आर्थिक संकट से ग्रस्त है, लाखों हिंदू परिवार आत्महत्या कर रहे हैं। सन 2007 में हिन्दू संगठनों के एक अनुमान के अनुसार इस अन्याय अत्याचार के कारण प्रतिदिन लगभग 2700 हिंदू लड़कियां गैर हिंदुओं का शिकार बन रही थी, उनके पूरे परिवार का जीवन नर्क बन गया है। यह समस्या बढ़ती जा रही है। इनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं है। दोषी राजनेताओं को नीलाम करके उनकी संपत्ति जप्त करके उनको बीच चौक में फांसी पर लटका कर पीड़ित हिंदुओं को हर्जाना देना चाहिए। रामराज्य लाने वाले राष्ट्रवादी नेता साढ़े 7 वर्ष से सत्ता में है जो अल्पसंख्यक मंत्रालय को बढ़ावा दे रहे हैं , बंद करना तो दूर, दोषी राजनेताओं को दंडित करना तो दूर, कानून बनाना तो दूर , आयोग बनाना तो दूर ।
जो बहुसंख्यक है उनके लिए अल्पसंख्यक आयोग बन सकता है, अल्पसंख्यक मंत्रालय बन सकता है , काला कानून सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक बनाने वाले वाले खुलेआम घूम सकते है, बलात्कार के दोषी क्रिश्चियन पंथगुरु बाहर घूम सकते हैं ,कई अपराधी राजनेता जेल से बाहर घूम सकते हैं ,खुलेआम धर्मांतरण हो सकता है। लेकिन हिन्दू संगठनों को हिन्दू जनता को न्याय मांगने पर प्रताड़ित किया जाता है। छल बल से धर्मांतरण से पीड़ित सन 2015 में पूरे देश में चर्चित राष्ट्रीय खिलाड़ी तारा सहदेव के मामले में केंद्र सरकार के गृहमंत्री ने कहा लव जिहाद क्या है मैं नहीं जानता। हिंदू भीख नहीं मांग रहे हैं न्याय मांग रहे हैं। नेता वह है जो नीति पर चले न्याय करें।
लाखों हिंदू मंदिरों की दान पेटी से प्रतिवर्ष सरकार करोड़ों अरबों रुपया हड़पकर उसकी 90 से 95% राशि क्रिश्चियन और मुस्लिम संस्थाओं को दे देती है। किसी मस्जिद या किसी क्रिश्चियन संस्था के एक रुपये को सरकार छूती भी नहीं है। गैर हिंदू शिक्षण या धार्मिक संस्थाओं को अनेक छूट और हिन्दुओ पर टैक्स लादे जा रहे हैं ।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आजादी के मायने क्या है? भारतीय संस्कृति , सनातन धर्म के अनुसार आजादी के क्या मायने हैं? लोकव्यवहार में,लोकाचार में देश, काल, परिस्थिति, क्षेत्र के अनुसार आजादी ,काल्पनिक आजादी,सापेक्ष आजादी,तात्विक आजादी, सच्ची आजादी के मायने जो संत अपने सत्संग में बता रहे हैं सच्ची आजादी की ओर वे जनता को ले जाने में सक्षम है। ऐसे संत आशारामजी बापू निर्दोषता के सबूत के बाद भी 10 साल से जेल में बंद है तो जनता को यह साक्षात हो जाना चाहिए की भारत की स्वतंत्रता का अपहरण हो चुका है।
संत आशाराम जी बापू के पास आशिर्वाद लेने बड़े बड़े नेता जाते रहते थे। वे नेता सत्ता में बैठ गए और उन संतो पर शाशन द्वारा अन्याय अत्याचार करने पर चुप्पी साधे बैठे है। संतो पर अत्याचार होने पर भगवान भी शासन करने वालों की रक्षा नहीं कर पाएंगे।
नेता उसे कहते हैं जो नीति पर चलें न्याय के लिए लड़ाई करें l भगवान श्री कृष्ण ने भी न्याय के लिए महाभारत युद्ध किया। संत आशारामजी बापू ने अपने सत्संग में बताया की भगवान श्री कृष्ण ने गीता में तात्विक आजादी
को सच्ची आजादी बताया है।
राष्ट्र की ,जनता की सच्ची सेवा क्या है? कैसे हो सकती है? ,कौन कर सकता है ? अपने आप को राष्ट्रवादी मानने वाले ,रामराज्य की बातें करने वाले, हिंदू राष्ट्र की बातें करने वाले क्या सच्ची आजादी के मायने जानते हैं? भगवान श्री राम भी गुरु वशिष्ठजी के चरणों में बैठकर उनकी आज्ञा में रहकर शासन करते थे उन्होंने भी सच्ची आजादी को समझा और पाया तभी रामराज्य साकार हो पाया।
संत आशारामजी बापू के दैवी कार्यों द्वारा विश्व मानवता की जो सेवा हो रही है उसकी महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। युवा पीढ़ी को उचित खान पान संयम , ब्रह्मचर्य की शिक्षा द्वारा विश्व स्तर पर मातृ पितृ पूजन दिवस के द्वारा आने वाली पीढ़ी में दैवी संस्कार जगा रहे हैं। विश्व मानवता को जन्म मृत्यु रूपी दुख से मुक्ति का मार्ग दिखाकर सच्ची आजादी की ओर ले जा रहे हैं।
भारत के विश्व प्रसिद्ध हिंदू संत आशारामजी बापू की उपेक्षा करके भारत के राजनेता इस देश को कहां ले जा रहे हैं ।
भारत के प्रधानमंत्री गृह मंत्री का यह प्रथम कर्तव्य है कि संत आशाराम जी बापू के समर्थन में सार्वजनिक रूप से अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करें। कई कई बार केंद्र सरकारों ने राज्य सरकारों ने न्यायालय में अनेक मुकदमे वापस लिए हैं । कई सरकारों ने सजायाफ्ता बड़े बड़े अपराधियों को जेल से छोड़ा है । उनके केस खत्म किए हैं।
राजनीतिक ,व्यक्तिगत कारणों से ऊपर उठकर देश के प्रधानमंत्री ,गृहमंत्री को सनातन धर्म की रक्षा के लिए ऐसे महान संतों के सानिध्य में इस राष्ट्र की जनता के कल्याण के लिए अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।
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