सुधा डेयरी से जुडे बन्धुगण इसपर ध्यान दें एवं इसपर सक्षम अधिकारी विचार करें ।
आलेख : प्रभाकर चौबे ।
काऊ मिल्क कहकर डेयरी से जो दूध मिलता है ।उससे गाय का दूध मानकर पंचायमृत नही बनाया जा सकता है न ही गाय के दूध के रूप मे पूजनकार्य लायक है ।इसमे भैंस का दूध मिला होता है। फैट एस. एन .एफ. का उतनी का प्रतिशत रखा जाता है जितना गाय के दूध मे रहता है। इसका नाम गाय का दूध की जगह कुछ दूसरा रखना चाहिए । बेहतर हो पूजा के लिए देशी गाय का दूध , घी , पेडा का अलग से पाॅकेट तैयार किया जाय ।रिफाईन्ड गो मूत्र , पन्चगव्य एवं हरिद्वार के गंगाजल के बाॅटलिंग प्लाॅन्ट भी बैठाया जाय तो आय का श्रोत बढने के साथ रोजगार मे वृद्धि होगी। गोबर मे सतंजा मिलाकर ठेकुआ बनाने का काम पर अनुसंधान की जरूरत है। अगर गोबर के कन्डा को धीमी आँच मे पकाकर उसका पावडर बनाकर उसमे सात अनाज को मिलाकर ठेकुआ या बिस्किट बनाया जाय तो वह काफी पौष्टिक और ऑक्सीकारक होगा। शरीर मे ऑक्सीजन के लेवल को गिरने नही देगा। अगर आप गोयठे को जलाकर एक बाल्टी पानी मे डाल दें तो कुछ समय बाद वह तल मे बैठ जाएगा ऊपर का पानी आप छानकर पी लें उससे ऑक्सीजन की मात्रा शरीर मे ठीक रहती है।इसमे ऑक्सीजन की सर्वाधिक होती है। एडियोधर्मिता वायरल इन्फेक्शन , प्रदुषण , कीटाणु नाशक एवं उर्वरको के अधिक प्रयोग से मिट्टी कैन्सरस हो चुकी है।उससे उत्पन्न अनाज और सब्जियों कैन्सर को बढावा दे रही हैं ।अगर गौ, मूत्र, पन्चगव्य, तथा गोबर का प्रयोग किया जाय तो वह विषाक्तता शरीर से खत्म हो जाएगी।तुलसी के सत से भी कोई बटी बनाई जा सकती है।इसमे भी कैन्सर नाशक तत्व मौजूद है। उसके सुखे तनो से माला भी बन सकती है। काली देशी गाय और काली बाछी जिसकी हो उसका दूध अमृत है ।कैन्सर की औषधि है। इसका अलग से पैकिंग करके ऊँचे दामो पर बेचा जा सकता है।
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