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देश भक्ति

देश भक्ति

तिरंगे में लपेटकर अलमारी में सुला देते है,
देश भक्ति के जज़्बे को  लोग तारीखों पर जगाते है 

समारोह और शुभारंभ में नेता बुलाये जाते है,
फौजी तो देश में मुसीबत में याद किये जाते है।

जान की परवाह किए बिना जो सरहद पर लड़ते है, 
रिटायरमेंट के बाद वे अपनी पेंशन के लिए लड़ते है। 

देश की हिफाजत करते हुए जो शहीद हो जाते हैं,
उनकी विधवाओं को रो कर दिन काटने पड़ते है।

पति की शहादत पर भी  जो अश्क नहीं बहाते है ,
रोजमर्रा की जरूरते से वह जीवन भर रोते है।

जब इस कड़वी सच्चाई से हम अवगत होते हैं,
शर्मसार हो कर सभी के सिर झुक जाते है।

जब क्रिकेट मैच में खिलाड़ी जीतते हैं,
लाखों रुपए ढेरों इनाम पाते हैं।
 
जैसे जंग जीत कर आए हो ऐसे वो छा जाते हैं।
मीडिया में उनके लंबे चर्चे होते हैं ,

उन्हें काम करने के लिए विज्ञापन मिल जाते है,
अभिनेता से ज्यादा वे पब्लिसिटी पाते हैं।
 
वही दूसरी ओर जब humare सैनिक आतंकी को मार गिराते हैं, 
उन्हें ना इनाम मिलते है ना उनके लंबे चर्चे होते हैं। 

जबकि देश के असली हीरो तो ये जांबाज होते हैं ,
जो जान की बाजी लगा कर देश की हिफाजत करते हैं।

फिर क्यों उन्हे हम भूल जाते हैं उनका सम्मान नहीं करते हैं,
क्यों देश भक्ति के जज़्बे को तारीखों पर जगाते है।

देशभक्ति अलग-अलग तरीकों से जताई जा सकती है मनाई जा सकती है मसलन..

गरीब की मदद करना अगर प्रभु की भक्ति है,
पुलिस और फौजी का सम्मान करना देश भक्ति है ।

जरूरतमंद के काम आना अगर प्रभु की भक्ति है,
तो जुल्म के खिलाफ आवाज उठाना देश भक्ति  है ।

रोते को हंसाना अगर प्रभु की भक्ति है ,
तो नारी की लाज बचाना देश भक्ति है ।

देशभक्ति की लौ हम यूं ही बरकरार रखेंगे , 
सिर्फ तारीखों पर ही नहीं
देशभक्ति हरदम बसाए रखेंगे ,
देशभक्ति हरदम बरसाए रखेंगे
सुमित मानधना 'गौरव', सूरत, गुजरात।
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