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शहीद हर्बोला के साथियों ने बर्फीले तूफान की दिलायी याद

शहीद हर्बोला के साथियों ने बर्फीले तूफान की दिलायी याद

हल्द्वानी। ऑपरेशन मेघदूत भारतीय सेना ने तब चलाया था, जब पाकिस्तान ने सियाचिन में भारत के स्वामित्व वाली चोटियों पर कब्जा कर लिया था। भारत की जमीन से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने और मारने का जिम्मा सेना की कुमाऊं रेजीमेंट को मिला. कुमाऊं रेजीमेंट ने जिन वीर सैनिकों को इस ऑपरेशन के लिए चुना, उन्हीं में शामिल थे शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला, (रि) कैप्टन बीडी उपाध्याय और (रि) सूबेदार केएस नेगी. बीडी उपाध्याय और केएस नेगी उन खुशकिस्मत जवानों में से हैं, जो ऑपरेशन मेघदूत को सफल कर जिंदा लौटे। दोनों उस ऑपरेशन को याद करते हुए बताते हैं कि उनकी यूनिट उस समय खेरू में तैनात थी, जिसे खेरू से पहले श्रीनगर और फिर श्रीनगर से पैदल ही लेह होते हुए सियाचिन पहुंचना था. 29 मई 1984 का दिन था, जब लांस नायक चंद्रशेखर जिस पैट्रोल पार्टी में शामिल थे, वो बर्फीले तूफान की चपेट में आ गई और पूरी पैट्रोलिंग पार्टी शहीद हो गई। सियाचिन की इन्हीं पहाड़ियों से लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर 15 अगस्त 2022 को घटना के पूरे 38 साल बाद बरामद हुआ. खास बात ये है कि जिस दिन लांस नायक चंद्रशेखर शहीद हुए, असल में उन्हें उस दिन ड्यूटी पर जाना ही नहीं था. उस दिन के गवाह हैं सूबेदार (रि) केएस नेगी, जिन्हें उस दिन पैट्रोलिंग पर निकलना था। अंतिम पलों में कुछ ऐसा हुआ कि सैन्य अधिकारियों ने नेगी की जगह हर्बोला को ड्यूटी पर भेज दिया. नेगी बताते हैं कि उन्हें किसी दूसरे जरूरी काम पर लगा दिया गया था, जिसकी वजह से उनकी जगह हर्बोला को भेजा गया और सियाचिन की कठिन पहाड़ियों को चढ़ते हुए पैट्रोलिंग पार्टी बर्फीले तूफान की चपेट में आ गई। नेगी बताते हैं कि वह पहला मौका था जब सियाचिन के लिए भारतीय सेना ने कूच किया था।
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