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जब-जब रूठती मेरी राधा

जब-जब रूठती मेरी राधा

जब-जब रूठती मेरी राधा,
तन-मन मेरा हो जाता आधा,
भाग्य मेरे मुझसे रूठ जाते,
दिखती चहुँओर मुझे  बाधा।
       जब-जब रूठती...।

बहुत मुश्किल है उसे मनाना,
बहुत कठिन है उसे हॅसाना,
वह है थोड़ी जिद्दी, हठीली,
मानने का नहीं उसका इरादा।
       जब-जब रूठती...।

सोचता हूँ उसे जल्द मनाऊँ,
प्यार की उसे गीत सुनाऊ,
मनमोहक कोई धुन बजाकर,
कर दूँ उसका पुरा वादा।
       जब-जब रूठती...।

नहीं चाहता मेरी राधा  रूठे,
किस्मत मेरी कभी नहीं फूटे,
नहीं दूँ दुख कभी मैं उसको,
भले हो जाये कष्ट मुझे ज्यादा।
       जब-जब रूठती...।

दिल की है वह भोली भाली,
मनमोहनी छवि,रूप निराली,
प्रेम उसका अनुपम जहान में
दुनियाँ की सर्वश्रेष्ठ है मेरी मादा।
       जब-जब रूठती...।
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      अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27
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