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कल्याण सिंह ने रखी थी सुशासन की नींव

कल्याण सिंह ने रखी थी सुशासन की नींव

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
जनसंघ की स्थापना राष्ट्रवादी विचार के आधार पर हुई थी।वह देश में कांग्रेस के वर्चस्व का दौर था। यह माना जाता था कि उनको ही सत्ता में रहना है। जनसंघ के संस्थापक राजनीतिक परस्थितियों से अनभिज्ञ नहीं थे। फिर भी उन्होंने राष्ट्रवाद की अलख जगाने का संकल्प लिया था। कांग्रेस की केंद्र और प्रदेश सरकारों का विचारधारा पर आधारित विरोध शुरू हुआ। उत्तर प्रदेश की पहली संविद सरकार में जनसंघ को प्रतिनिधित्व मिला। जनसंघ के राम प्रकाश गुप्त उस सरकार में उप मुख्यमंत्री थे। दूसरी बार वह भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री भी बने थे।जनता पार्टी सरकार में भी जनसंघ का प्रतिनिधित्व था। कल्याण सिंह उस सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। उस अवधि में उनकी प्रशासनिक कुशलता प्रमाणित हुई। अंतरिक मतभेदों के चलते जनता पार्टी का विघटन हुआ। जनसंघ घटक द्वारा भारतीय जनता पार्टी का गठन किया गया। मुंबई के स्थापना सम्मेलन में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था अंधेरा छटेगा, सूरज उगेगा, कमल खिलेगा।
उत्तर प्रदेश में कमल खिलाने का मोर्चा कल्याण सिंह ने संभाला। वह कुशल जननेता व प्रशासक थे। उन्होंने भाजपा को मजबूत बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। कुछ समय के लिए वह भाजपा से रूठे भी थे लेकिन उनके अंतर्मन में उस समय भी राष्ट्रवादी चेतना थी। वापस लौटे तो आंसुओं के साथ इसकी अभिव्यक्ति भी हुई। इस अवसर पर लखनऊ में समारोह आयोजित किया गया था। कल्याण सिंह भावुक थे। उनके भाषण की एक-एक लाइन का भावपूर्ण अर्थ था। उन्होंने कहा था कि संघ और भाजपा का संस्कार मेरे रक्त की एक-एक बूंद में है। मैं जीवन भर भाजपा में रहूंगा। जब मेरे जीवन का अंत हो, तब मेरा शव भी भाजपा के झंडे में लपेटा जाए। इसी प्रकार बाबरी ढांचा विध्वंस के समय भी उनका बयान एक लाइन का था। उन्होंने कहा था कि वह कारसेवकों पर गोली नहीं चलाएंगे, गोली नहीं चलाएंगे, गोली नहीं चलाएंगे। इस एक लाइन से ही श्री रामजन्म भूमि मंदिर निर्माण के प्रति उनकी आस्था को समझा जा सकता है। यही लाइन भाजपा और अन्य पार्टियों के अंतर को रेखांकित करती है। यह संयोग था कि अयोध्या में श्री राममंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन कल्याण सिंह के जीवनकाल में ही सम्पन्न हुआ। कल्याण सिंह राम मंदिर के प्रति समर्पित व्यक्ति थे। उस समय देश में दो तरह की विचारधारा चल रही थी। एक विचारधारा कहती रही कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता। दूसरी तरफ एक विचारधारा कहती रही कि मंदिर वहीं बनाएंगे। कल्याण सिंह दूसरी विचारधारा के समर्थन में रहे। बाबरी ढांचा विध्वंस के समय वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने एक लाइन का इस्तीफा दिया था। तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री से बात करते समय उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि राम भक्तों पर गोली नहीं चलाई जाएगी।
कल्याण सिंह और मुलायम सिंह में यह सबसे बड़ा अन्तर था। बाबरी ढांचा ढहाये जाने के बाद कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने बाबरी मस्जिद को बचाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि बाबरी ढांचे को पूरी तरह से बचाने का काम किया जाएगा लेकिन कारसेवकों का लाखों की संख्या में अयोध्या में हुजूम उमड़ा तो उन्होंने गोली चलाने को लेकर एक लाइन में आदेश दिया कि गोली नहीं चलाई जाएगी। योगी आदित्यनाथ ने गत दिनों उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बाबूजी ने सुशासन की नींव रखी थी। आजादी के बाद हम सभी की स्मृतियों में सुशासन वाली पहली सरकार वर्ष 1991 में बनी कल्याण सिंह की ही सरकार थी। उन्होंने सभी वर्गों के हितों के साथ ही सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए भी कार्य की शुरुआत की थी। वह अपने जीवन में सदैव जनहित को ही वरीयता देते रहे। उनकी कार्य पद्धति निर्णायक साबित हुई। उनकी पुण्य तिथि पर लखनऊ में कैंसर अस्पताल का शुभारंभ हुआ। योगी ने कहा कि कल्याण सिंह गरीब किसान,मजदूर तथा पीड़ित की सेवा में समर्पित रहते थे।वर्तमान सरकार उनके सपने को पूरा कर रही है।
कल्याण सिंह की प्रथम पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा नवनिर्मित कैंसर इंस्टीट्यूट में स्थापित हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने संस्थान का नामकरण कल्याण सिंह के नाम पर ही रखा है। कल्याण सिंह का कार्यकाल बहुत सीमित समय का था, लेकिन अपने सीमित समय के कार्यकाल में ही उन्होंने साबित कर दिया कि सरकार की धमक कैसी होनी चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर प्रतिमा का लोकार्पण किया। इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले सत्तर वर्षों में प्रदेश में केवल बारह मेडिकल कॉलेज स्थापित हुए थे जबकि पिछले पांच वर्षों में केंद्र और राज्य सरकार के प्रयास से पैंतीस नए मेडिकल कॉलेज बने हैं। गोरखपुर में एम्स शुरू हो चुका है। वाराणसी में कैंसर इंस्टीट्यूट शुरू हो चुका है। प्रदेश आज देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। वर्ष 1991 कल्याण सिंह के शासन में जो सुशासन की नींव रखी गई थी वह आज उत्तर प्रदेश के समग्र विकास के आधार को साबित करता है।उनकी सरकार ने न केवल प्रदेश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को संरक्षित किया,बल्कि उस समय जब प्रदेश एक संक्रमण के दौर से गुजर रहा था तब प्रदेश को संभाला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से परिपूर्ण यह संस्थान बाबूजी के नाम के अनुरूप प्रदेश के कल्याण का कारक बनेगा। वर्तमान में चिकित्सा संस्थान में करीब सात सौ बिस्तरों की क्षमता है, जिसे बढ़ाकर बारह सौ बिस्तर किया जा रहा है। जब पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रही थी तब इस संस्थान में प्रदेशवासियों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के साथ यहां पर कैंसर के उपचार की सुविधा भी दी जा रही थी। चिकित्सा संस्थान में कैंसर के बेहतर इलाज के लिए टाटा कैंसर इंस्टीट्यूट से बातचीत चल रही है। जल्द ही उसी की तर्ज पर यहां पर कैंसर का इलाज अत्याधुनिक तकनीक से किया जाएगा। यह संस्थान देश के लोगों को कैंसर रोग से मुक्ति देकर उनके जीवन को कल्याण के पथ पर ले जाएगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश एक जिला एक मेडिकल कॉलेज के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समर्पित रूप से काम कर रहा है। सभी मेडिकल कॉलेजों का नाम उन महापुरुषों के नाम पर रखा जाएगा जिन्होंने राज्य के विकास में योगदान दिया और इतिहास रचा। किसी व्यक्ति की योग्यता की कसौटी का मानक उसका भाषण या उसके द्वारा प्रचार प्रसार नहीं हो सकता है। मानवता जब संकट के दौर से गुजर रही हो तब ही किसी व्यक्ति की योग्यता और क्षमता का आकलन किया जा सकता है। इस सदी की सबसे बड़ी महामारी ने साबित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में असीम क्षमता है। वह बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकता है। पिछली सरकारों को आड़े हाथ लेते हुए योगी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार कल्याण सिंह के समग्र ग्रामीण विकास के विजन को साकार करने के लिए काम कर रही है।
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