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नवनियुक्त सीजेआई के इरादे

नवनियुक्त सीजेआई के इरादे

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
आदमी के दायित्व से ज्यादा उसके इरादे महत्वपूर्ण होते हैं । दायित्व पदासीन होते ही स्वयंमेव तय हो जाते हैं लेकिन इरादे स्व विवेक और स्वेच्छा से तय किये जाते हैं। भारत के मनोनीत मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित अर्थात यू यू ललित ने 27 अगस्त 2022 को उस दायित्व को संभाला है जो मौजूदा हालात में कठिन परीक्षा के दौर से गुजर रहा है। चुनाव के दौरान मुफ्त की रेवड़िया बाँटने के विवाद का फैसला सुप्रीम कोर्ट को ही करना है। पेगासिस जासूसी मामले में भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने यह टिप्पणी कर कि जाँच में केंद्र सरकार ने सहयोग नहीं किया नये सीजेआई की जिम्मेदारी बढा दी है। कार्यभार संभालने से एक दिन पहले सीजेआई ने न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान तीन क्षेत्रों पर काम करने का इरादा जाहिर किया और कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि कम-से-कम एक संविधान पीठ साल भर सुप्रीम कोर्ट में काम करे। भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में कार्यभार संभालने वाले न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि अन्य दो क्षेत्र हैं- शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करना और जरूरी मामलों का उल्लेख करना। ईश्वर से प्रार्थना है कि न्यायमूर्ति यू यू ललित अपने इरादे पूरे करने में सफल हों। वह दूसरे सीजेआई होंगे, जो बार से सीधे पदोन्नत होकर उच्चतम न्यायालय पहुंचे हैं। इससे पहले, न्यायमूर्ति एस.एम. सिकरी मार्च 1964 में बार से सीधे शीर्ष अदालत तक पहुंचे थे और 1971 में देश के 13वें सीजेआई नियुक्त हुए थे।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा निवर्तमान सीजेआई एन वी रमण को विदाई देने के लिए आयोजित एक समारोह में बोलते हुए, न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि उनका हमेशा से मानना है कि शीर्ष अदालत की भूमिका स्पष्टता के साथ कानून बनाना और इसका सर्वोत्तम संभव तरीका है जितनी जल्दी हो सके बड़ी बेंचों का गठन करना है ताकि मुद्दों को तुरंत स्पष्ट किया जा सके। उन्होंने कहा, ‘इसलिए, हम इस बात के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि हमारे पास पूरे साल कम-से-कम एक संविधान पीठ हमेशा काम करेगी। ’न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि जिन क्षेत्रों में वह काम करना चाहते हैं उनमें से एक संविधान पीठों के समक्ष मामलों की सूची और विशेष रूप से तीन-न्यायाधीशों की पीठ को भेजे गए मामलों के बारे में है। मामलों को सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘मुझे आपको आश्वस्त करना है कि हम लिस्टिंग को यथासंभव सरल, स्पष्ट और पारदर्शी बनाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे।’ जरूरी मामलों का उल्लेख करने के संबंध में, न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि वह निश्चित रूप से इस पर भी गौर करेंगे।

देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में 26 अगस्त 2022 को रिटायर हुए एनवी रमण ने लंबित मामलों को एक ‘बड़ी चुनौती’ बताते हुए उन्हें निपटाने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाने पर खेद व्यक्त किया है। रिटायर होने से पहले सीजेआई ने कहा कि समाधान खोजने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस को तैनात करने की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति जस्टिस यूयू ललित के पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति रमण ने विदाई समारोह में कहा था, “हालांकि हमने कुछ मॉड्यूल विकसित करने की कोशिश की, लेकिन अनुकूलता और सुरक्षा मुद्दों के कारण, हम ज्यादा प्रगति नहीं कर सके। इस लक्ष्य को भी नये सीजेआई को प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी प्राथमिकता अदालतों को चलाना था लेकिन कामर्शियल प्रतिष्ठानों की तरह वह सीधे बाजार से तकनीकी उपकरणों को नहीं ले सकते हैं।

उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि लंबित मामले हमारे सामने एक बड़ी चुनौती हैं। जस्टिस रमण के मुताबिक वह पेंडिंग मामलों पर अधिक ध्यान नहीं दे सकें और इसके लिए उन्हें खेद है। उन्होंने युवा वकीलों को अपने मामलों को शीर्ष अदालत में सूचीबद्ध कराने में आने वाली समस्याओं का भी जिक्र किया। अपने विदाई भाषण में, न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि न्यायपालिका की जरूरतें बाकी जरूरतों से अलग थीं। सीजेआई के अनुसार जब तक बार एसोसिएशन अपने पूरे दिल से सहयोग करने को तैयार नहीं होता, तब तक आवश्यक बदलाव लाना मुश्किल होगा। न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका समय के साथ विकसित हुई है और इसे किसी एक आदेश या निर्णय से परिभाषित या आंका नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब तक संस्था की विश्वसनीयता की रक्षा नहीं की जाती है, इस न्यायालय के अधिकारी होने के नाते, लोगों और समाज से सम्मान प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसलिए नव नियुक्त सीजेआई यूयू ललित को सुप्रीमकोर्ट की विश्वसनीयता की रक्षा हर हालत और हर कीमत पर करनी होगी। साथ ही बार और बेंच के बीच बेहतर संबंध बनाए रखना होगा। सीजेआई ने अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान तीन क्षेत्रों पर काम करने का इरादा जाहिर करके यह संकेत तो दे ही दिया है कि सीमित कार्य काल में भी वह कुछ ऐसा कर जाएंगे जो सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि कम-से-कम एक संविधान पीठ साल भर सुप्रीम कोर्ट में काम करे। भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश ने शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करना और जरूरी मामलों का उल्लेख करना अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है जो समय की जरूरत भी है। महाराष्ट्र के ललित परिवार की कानून में 102 साल की विरासत है। जस्टिस यूयू ललित के दादा रंगनाथ ललित भारत की आजादी से बहुत पहले सोलापुर में एक वकील थे। सुखद संयोग है कि शनिवार 27 अगस्त को जब जस्टिस यूयू ललित सीजेआई के रूप में शपथ ले रहे थे, तो उस समय उनकी तीन पीढ़ियां मौजूद थीं। जस्टिस उदय उमेश ललित क्रिमिनल लॉ के स्पेशलिस्ट हैं। उन्हें 13 अगस्त 2014 को सीधे बार से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। इसके बाद उन्हें मई 2021 में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सभी 2जी मामलों में सीबीआई के पब्लिक प्रोसिक्यूटर के रूप में ट्रायल्स में हिस्सा ले चुके हैं। वे दो कार्यकालों के लिए सुप्रीम कोर्ट की लीगल सर्विस कमेटी के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। ध्यान रहे कि 10 जनवरी 2019 को जस्टिस यू यू ललित ने खुद को अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच से अलग कर लिया था। उन्होंने तर्क दिया था कि करीब 20 साल पहले वह अयोध्या विवाद से जुड़े एक आपराधिक मामले में यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के वकील रह चुके थे। निष्पक्ष न्याय का यह एक छोटा सा उदाहरण है।
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