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स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर काव्य गोष्ठी

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर काव्य गोष्ठी

औरंगाबाद से दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर 
औरंगाबाद, 15 अगस्त 2022 को स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा राष्ट्रीय विचारधारा से ओतप्रोत एक काव्य गोष्ठी का आयोजन शहर के वरिष्ठ कवि धनंजय जयपुरी के आवास पर ख्यात भाषा विद एवं सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज के सेवानिवृत्त हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में आहूत की गई. विशिष्ट अतिथि के रूप में समकालीन जवाबदेही नामक पत्रिका के संपादक एवं साहित्यकार डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र एवं महाराणा प्रताप सेवा संस्थान के पूर्व सचिव अनिल कुमार सिंह रहे.
कवि अनिल मिश्र अनल द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति देते हुए काव्य गोष्ठी का आगाज एवं बेहतरीन संचालन किया गया. इस काव्य गोष्ठी में सम्मिलित कवियों द्वारा देश प्रेम से सराबोर कविताओं का सस्वर पाठ किया गया तथा आजादी के सेनानियों को श्रद्धांजलि व्यक्त की गई. इस क्रम में कवि शैलेंद्र कुमार शैल, धनंजय जयपुरी, अनिल कुमार सिंह, नागेंद्र कुमार केसरी, विनय मामूली बुद्धि, अनिल अनल, हिमांशु चक्रपाणि, शंभूनाथ शुक्ला आदि कवियों ने अपने काव्य प्रस्तुति दी तथा गोष्ठी में उपस्थित श्रोताओं के बीच देर तक राष्ट्रप्रेम का समां बांधे रखा.
अपने उद्बोधन में प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि अंग्रेजी जंजीर में जकड़े भारत की जनता को स्वाधीनता के लिए जगाने में कवियों एवं साहित्यकारों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. उन्होंने महावीर प्रसाद द्विवेदी, बंकिम चंद्र चटर्जी, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, श्रीधर पाठक, सुभद्रा कुमारी चौहान, माखनलाल चतुर्वेदी, मो. इकबाल, सुमित्रानंदन पंत, जयशंकर प्रसाद, शिवमंगल सिंह सुमन, रामनरेश त्रिपाठी आदि की रचनाओं को याद दिलाते हुए कहा कि इन कवियों ने आम जनता में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाने तथा उन्हें स्वाधीनता आंदोलन का हिस्सा बनने हेतु प्रेरित किया. साथ ही जिला साहित्य सम्मेलन के कवियों को यह बोध कराया कि आज भले ही हम आजाद हैं किंतु आज के समय में भी वैसी ही धारदार रचनाओं की जरूरत है जो जन-जन को आंदोलित कर सकें, भारतीय जनमानस में जागृति ला सकें तथा भ्रष्टाचार व अराजकता को दूर कर हर भारतवासी के हृदय में भारतीय गौरव-बोध एवं मानवीय-मूल्यों का संचार कर सके.
समकालीन जवाबदेही पत्रिका के संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र द्वारा इस क्रम में चर्चा की गई कि कविता में मूलत: तीन विशेषताएँ होती हैं जो इसके महत्त्व को रेखांकित करती हैं. प्रथम अतीत से प्रेरणा लेना, दूसरा वर्तमान को चित्रित करने का कार्य करना और तीसरा भविष्य का मार्गदर्शन करना. आज के हमारे कवियों और साहित्यकारों का यह दायित्व बनता है कि वे इस देशकाल के बारे में सोचें और उस परंपरा को जीवित रखें जो स्वतंत्रता संग्राम कालीन कवियों एवं साहित्यकारों की परंपरा रही है.
विदित हो कि शहर में कविता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिले के कवियों द्वारा प्रत्येक रविवार को एक काव्य गोष्ठी सह कविता की कार्यशाला का आयोजन विभिन्न साहित्यकारों के आवास पर की जाती है. इसी क्रम में आज की काव्य गोष्ठी कवि धनंजय जयपुरी के आवास पर आहूत की गई. काव्य पाठ के उत्तरार्ध में प्रस्तुत कविताओं के काव्य विधान पर विद्वत जन द्वारा चर्चा की गई. काव्य गोष्ठी के आतिथ्य का दायित्व कवि धनंजय जयपुरी का था जिन्होंने अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया.
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