जीवन धारा
जीवन क्या बहती सरिता लक्ष्य को पहचान लो
सपनों को पंख लगाकर मानव नई उड़ान भरो
हौसला हृदय में लेकर सद्भावों के भाव भरकर
हर्ष खुशी प्रेम बांटे होठों पे हंसी मुस्कान लेकर
जिंदगी का सफर सुहाना जीने की राहें चुन लो
पल पल में खुशियां बरसे नित नए स्वप्न बुन लो
लक्ष्य साधे जीवन का उन्नति की बढ़कर डगर
कर्मभूमि उतर पड़े कर्मवीर चले सुहाना सफर
आंधी तूफान धूप छांव सी सुख दुख का लगे मेला
पहचानो जीवन क्या है वासंती बयार सा अलबेला
मधुर मधुर पुरवाई बहती बहारों में झूम लो
खुशियों के सुहाने पल आगे बढ़कर चूम लो
आओ सुहाने सफर में हम गीत मधुर गाते चले
प्यार के मोती लुटाकर प्यारे हम मुस्काते चले
रमाकांत सोनी नवलगढ़
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