आ जाओ एकबार कान्हा
आ जाओ एकबार कान्हा,
मेरे घर-द्वार,
आकर मेरी सुधी ले लो,
कर दो मेरा उद्धार।
आ जाओ एकबार...।
तुने मीरा,सुदामा को तारा,
तारा है यह संसार,
आकर तुम मुझको भी तारो,
तारो सकल परिवार।
आ जाओ एकबार...।
कहने को तो बहुत रिश्ते नाते,
आपस में नहीं कोई प्यार,
बाप बनकर जमीन मेरा लूटा,
लूटा मेरा घर बार।
आ जाओ एकबार...।
टूट चुका हूँ मैं जीवन से,
गया हूँ थक-हार,
जन्म-मरण से मुक्ति दे दो,
दे दो अपना प्यार।
आ जाओ एकबार...।
मेरी बिगड़ी बना दो कान्हा,
बना दो मेरा घर-द्वार ,
तन-मन मेरा चंगा कर दो,
दे दो भक्ति अपार।
आ जाओ एकबार...।
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अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण,पटना-27हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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