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देख तेरे इंसान की हालत क्या हो गई भगवान?

देख तेरे इंसान की हालत क्या हो गई भगवान?

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  •  जिंदा बुजुर्ग मां को बोरे में रख कचरे में फेंका!

यह किसी एक घर की कहानी नहीं बल्कि सभ्य और शिक्षित कहलाने वाले आर्थिक तौर पर सम्पन्न परिवारों में भी बुजुर्गों से बुरा व्यवहार आम बात है। कभी युवा पीढ़ी बुजुर्गों से परिवार व्यापार आदि के बारे में सलाह मशविरा कर कदम उठाया करती थी लेकिन अब बुजुर्गों की सलाह की कोई तवज्जो युवा पीढ़ी के दिमाग में नहीं है। सिर्फ उनकी जीवन भर की कमाई चल अचल सम्पत्ति को हासिल कर उनके प्रति अपमान व निरादर का व्यवहार करना आम व्यवहार बन गया है।

यूं तो देश दुनिया में रोजाना तरह तरह के हादसे और वारदातें घटित होती हैं लेकिन इन सबसे इतर पश्चिमी बंगाल के हुगली जिले में एक दिल दहलाने वाला और मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। हुगली के जीटी रोड पर एक बुजुर्ग महिला को एक बोरे में बंदकर कचरे के ढेर पर फेंक दिया गया।

इंसानियत को शर्मसार करने वाली यह घटना हाल ही में 20 अगस्त को सामने आई। जब राह चलते लोगों ने सड़क के किनारे एक बड़ी बोरी पड़ी देखी और उस बोरी में अंदर कुछ हरकत हो रही थी। हिम्मत करके लोगों ने जब बोरी के मुंह पर बंधी रस्सी खोली, तो नजारा देखकर लोगों का दिल दहल गया। बोरे में कोई लाश या निर्जीव वस्तु नहीं थी, बल्कि बोरे में लगभग अस्सी साल की एक बूढ़ी महिला को बांधकर किसी ने सड़क पर फेंक दिया था। यह देख मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया। यह हादसा जिसने देखा सन्न रह गया। बेहद निर्दयता भरी यह घटना हुगली जिले के चुंचुड़ा प्रियानगर इलाके में शनिवार 20 अगस्त की रात जीटी रोड के किनारे की है। राह गुजरते स्थानीय लोगों ने थाने में मामले की सूचना दी। सूचना पर पहुंची स्थानीय पुलिस टीम ने वृद्धा को ढाढस बंधाया और अपने साथ ले गई।

मिली जानकारी के अनुसार चुंचुड़ा थाने में कार्यरत महिला पुलिस अधिकारी राखी घोष का पुत्र प्रदीप भी उसी रास्ते से गुजर रहा था। उसी समय स्थानीय लोगों ने वृद्धा को बोरे से निकाला। प्रदीप वहां खड़े होकर सब कुछ देख रहा था। उन्होंने तत्काल इसकी जानकारी अपनी मां को फोन पर दी।

स्थानीय निवासियों के अनुसार वृद्ध महिला की हालत सामान्य थी। प्रदीप ने उस महिला को केक खरीद कर दिया और फोन कर अपनी मां को बुलाया। महिला पुलिस अधिकारी यानी प्रदीप की मां उस वक्त थाने में ड्यूटी पर थीं। बेटे का फोन आने पर उन्होंने घटना की सूचना उच्चाधिकारी को दी तो तुरंत ही कई पुलिस अधिकारी घटना स्थल पर पहुंच गये। एक महिला पुलिस कर्मी भी अधिकारी के साथ मौके पर गई। प्रियानगर पहुंचने पर पुलिस ने देखा कि बूढ़ी महिला बदहवास हालत में बोरी में पैर रखकर बैठी है और तब तक उसके आसपास सैकड़ों तमाशबीनों की भीड़ जमा हो गई थी।

बुजुर्ग महिला हिन्दी भाषी निकली। जब थाना लाकर पुलिस ने बूढ़ी महिला से उसका नाम पता पूछा तो हिंदी भाषी बुजुर्ग ने बताया कि उसका घर अशोकनगर में है और नाम अन्नू कुमारी है। उसे ट्रेन से लाया गया था। वह यह नहीं बता सकी कि वह चुंचुड़ा के प्रियानगर में कैसे पहुंच गई। कौन लेकर आया इस बारे में वह कुछ नहीं बता सकी। घर में कौन है, इस बारे में वह कुछ नहीं कह सकी। पुलिस ने बूढ़ी महिला को रेस्क्यू किया और उन की स्वास्थ्य जांच के लिए चंचुड़ा इमामबाड़ा अस्पताल ले गई। पुलिस ने वृद्धा के घर की तलाशी शुरू कर दी है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि बूढ़ी महिला यहां इस तरह कैसे पहुंची उसके साथ इस तरह की अमानवीय हरकत किसने की और इस तरह कचरे के ढेर पर जिंदा इंसान को फेंक कर कौन जालिम इंसान बुजुर्ग महिला से छुटकारा पाना चाहता था।

जो भी हो यह सारी जांच होगी और मामले का खुलासा भी हो जाएगा लेकिन समाज में बुजुर्ग लोगों की दशा चिंता का विषय बन गयी है। परिवारों में बुजुर्गों का सम्मान उनकी पूरी देखभाल बहुत से परिवार के लिए एक कर्तव्य न हो कर बोझ या मजबूरी की बात हो गया है। हाल ही में एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सामने आया है कि अस्सी फीसदी बुजुर्ग आर्थिक तौर पर भी परिवार पर आश्रित हैं। वह आत्मनिर्भर नहीं है। ऐसी दशा में बुजुर्गों को भारी उत्पीड़न अपमान और एकाकी वातावरण में शेष जीवन को गुजारना पड़ता है। यह किसी एक घर की कहानी नहीं बल्कि सभ्य और शिक्षित कहलाने वाले आर्थिक तौर पर सम्पन्न परिवारों में भी बुजुर्गों से बुरा व्यवहार आम बात है। कभी युवा पीढ़ी बुजुर्गों से परिवार व्यापार आदि के बारे में सलाह मशविरा कर कदम उठाया करती थी लेकिन अब बुजुर्गों की सलाह की कोई तवज्जो युवा पीढ़ी के दिमाग में नहीं है। सिर्फ उनकी जीवन भर की कमाई चल अचल सम्पत्ति को हासिल कर उनके प्रति अपमान व निरादर का व्यवहार करना आम व्यवहार बन गया है।

ऐसे में बुजुर्गों के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने कानूनी प्रावधानों का भी बंदोबस्त किया है लेकिन इस के बावजूद बुजुर्गों की दशा दिन पर दिन गिरावट की ओर है और अब तो बुजुर्गों को बोरे में बंद कर कचरे पर फेंकने से भी गुरेज नहीं किया जा रहा। वाह क्या इसीलिए इंसान अपने खून का पानी बना कर संतान की उत्पत्ति लालन पोषण शिक्षा व समाज में स्थापित करता है। समाज में आ रहा यह नैतिक पतन गर्त की पराकाष्ठा की ओर ले जाएगा। हैल्पेज इंडिया द्वारा बुजुर्गों की स्थिति पर किए गए एक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में बुजुर्ग बेहद दयनीय दशा में हैं। उन्होंने खुद अपनी उपेक्षा और बुरे व्यवहार की शिकायत की है। यह अध्ययन देश के 19 छोटे-बड़े शहरों में 4500 से अधिक बुजुर्गों पर किया गया। सर्वे में शामिल बुजुर्गों की रायके ़़अनुसार 44 फीसदी बुजुर्गों के साथ सार्वजनिक स्थानों पर बहुत दुव्र्यवहार किया जाता है। बेंगलुरु, हैदराबाद, भुवनेश्वर, मुंबई और चेन्नई जैसे मैट्रो शहरों में सार्वजनिक स्थलों पर बुजुर्गों से सबसे बुरा अपमानजनक व्यवहार होता है। समय रहते इस पर विचार व बुजुर्गों के अधिकारांे को संरक्षण देने के लिए पर्याप्त बंदोबस्त करना होगा।
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