तिरंगा एक मीटर का, सिर्फ कपड़ा नहीं होता।
जयराम जय
सजा है चार रंगों से,
ये झण्डा शान है अपनी।
तिरंगा देश का अपने,
यही पहचान है अपनी ।
समय कैसा भी आ जाए,
इसे झुकने नहीं देना,
यही है देश की शक्ती,
तिरंगा जान है अपनी ।
सभी मिलके अगर रहते,
कहीं झगड़ा नहीं होता।
सरहदों पे सुरक्षा का,
कोई रगड़ा नहीं होता ।
सजग प्रहरी हिमालय सा,
अडिग वो रात-दिन रहता,
तिरंगा एक मीटर का,
सिर्फ कपड़ा नहीं होता ।
खड़े हैं वे सुरक्षा में,
हमारी तान कर सीना ।
बिना उनके नहीं सम्भव,
हमारा चैन से जीना।
लिए वे हाथ में रहते,
तिरंगा शान से कहते ,
यही काशी है, गुरुद्वारा,
यही है, चर्च मदीना ।
इसी माटी में जन्मे हैं,
यहीं जीना यहीं मरना ।
तिरंगा हाथ में लेकर,
सदा आगे हमें बढना ।
घिरी हैं देश की सीमाएं,
कुछ बहसी दरिंदो से ,
स्वप्न में भी हमें उनसे,
कभी डर के नहीं रहना ।
*
~जयराम जय
पर्णिका' बी-11/1,कृष्ण विहार ,आ.वि.,कल्याणपुर,
कानपुर-208017(उप्र)हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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