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लालकिले से अमृत संदेश

लालकिले से अमृत संदेश

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
इस बार आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निश्चित रूप से प्रेरणादायक संदेश दिया है। पीएम के संबोधन मंे परिवारवाद वाले राजनीतिक अंश को हटा दिया जाए तो नागरिकों के कर्तव्य और भाईचारे का जो अमृत संदेश है, उसे हम सभी को आत्मसात करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने हमंे पांच प्रण करने के लिए प्रेरित किया है जो निश्चित रूप से उन स्वनामधन्य शहीदों के सपने को पूरा करेंगे जिनके लिए वे हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूले अथवा लाठियां-गोलियां खाकर अमर हो गये।

आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर लालकिले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा हमारी कुरीतियों पर समय रहते समाधान नहीं किए तो विकराल रूप ले सकता है। पहला- भ्रष्टाचार, दूसरा है भाई भतीजावाद, परिवारवाद। भारत जैसे लोकतंत्र में जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं। एक तरफ वे लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है, एक तरफ वो लोग हैं जिनको चोरी का माल रखने की जगह नहीं है। हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना है।पीएम मोदी ने कहा कि भारत का विकास हम कहीं पर भी हों हम सबके मन मस्तिष्क में रहना चाहिए। हम ये परिस्थिति पैदा करेंगे। मुझे भ्रष्टाचार को खत्म करना है। मेरे देश के 130 करोड़ लोग मेरा साथ दें ताकि यह देश जीत पाए।

प्रधानमंत्री ने कहा लाल बहादुर शास्त्री के नारे जय जवान और जय किसान आज भी प्रासंगिक है। देश की ये जरूरत है। हमारे युवा ऐसा कर सकते हैं। हम अनुसंधान में आगे बढ़ेंगे। भारत की नारी शक्ति एक नए जोश के साथ आगे आ रही है। हम आने वाले 25 सालों में जितनी सुविधाएं बेटियों के लिए केंद्रिंत करेंगे वो बहुत कुछ लौटाकर देगी। इस अमृतकाल में जो सपने पूरे करने में जो मेहनत लगने वाली है। अगर नारी शक्ति जुड़ जाएगी, हमारी मेहनत कम हो जाएगी, हमारे सपने और तेजस्वी, ओजस्वी होंगे। हम इन जिम्मेदारियों को लेकर आगे बढ़ें।पीएम मोदी ने कहा कि जब 5 साल का बच्चा घर में विदेशी खिलौने से नहीं खेलने का संकल्प करता है तब आत्मनिर्भर भारत उसकी रगों में दौड़ता है। आप देखिए, पीएलआई स्कीम। एक लाख करोड़ रुपये, दुनिया के लोग भारत में नसीब आजमाने आ रहे हैं। भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है। आज देश बहुत तेजी से प्रगति कर रहा है। जब हमारा ब्रह्मोस दुनिया में जाता है तो कौन हिंदुस्तानी होगा जिसका मन आसमां को नहीं छूता होगा। हमें आत्मनिर्भर बनना है। हमें ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनना है। हमें सोलर, विंड एनर्जी का क्षेत्र हो, मिशन हाइड्रोजन, बायो फ्यूल, इलेक्ट्रिक वीइकल पर जाने की बात हो हमें आत्मनिर्भर बनना होगा।

मोदी ने कहा जिस आवाज को सुनने को लिए हमारे कान तरस रहे थे। आज 75 साल के बाद लाल किले से तिरंगे को सलामी देने का काम मेड इन इंडिया तोप ने किया है। कौन हिंदुस्तानी होगा जिसको ये आवाज नई प्रेरणा और ताकत नहीं देगी। मेरे देश की सेना के जवानों का अभिनंदन करना चाहूंगा। मेरी सेना के जवानों ने, सेनानायकों ने जिस जिम्मेवारी के साथ कंधे पर उठाया है, उनको आज मैं सलाम करता हूं। सेना का जवान मौत को मुट्ठी में लेकर चलता है। उन्हांेने कहा मैं एक पीड़ा जाहिर करना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि शायद ये लाल किले का विषय नहीं हो सकता। मेरे भीतर का दर्द है। किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोल चाल, हमारे शब्दों में.. हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम स्वभाव से, संस्कार से रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं। नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। ये सामर्थ्य मैं देख रहा हूं। सामूहिक तनाव की बात होती है तो लोग भारत की तरफ देखते हैं। संयुक्त परिवार की पूंजी हमारी विरासत है। इस विरासत पर हम गर्व करें। हम तो वो लोग हैं जीव में शिव देखते हैं, नारी को नारायणी कहते हैं, नर में नारायण देखते हैं। नदी को मां मानते हैं, हम लोग हैं जो कंकड़ में शंकर देखते हैं। हमने दुनिया को वसुधैव कुटुंबकम का नारा दिया।

पीएम ने कहा जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे तभी तो ऊंचा उड़ेंगे जब हम ऊंचा उड़ेंगे तो हम विश्व को भी समाधान दे पाएंगे। जब हम अपनी चीजों पर गर्व करते हैं तो दुनिया हमारी विरासत से प्रभावित हो रही है। हमारी ताकत देखिए। हम वो लोग हैं जो प्रकृति के साथ जीना जानते हैं। आज विश्व पर्यावरण जो समस्याओं से जी रहा है, ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं का समाधान है हमारे पास। हमारे पूर्वजों ने हमें ये दिया है।

लालकिले से मोदी ने पांच प्रण कराए हैं-

पहला प्रण- अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चले। बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा। बड़ा संकल्प है, विकसित भारत।दूसरा प्रण- किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। अब शत प्रतिशत सैंकड़ों साल की गुलामी में जो हमें जकड़कर रखा है, हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी।तीसरा प्रण- हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत जिसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था। इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए।चैथा प्रण- एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों मे एकता। न कोई अपना न कोई पराया। एकता की ताकत एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपनों के लिए हमारा चैथा प्रण है।पांचवां प्रण- नागरिकों का कर्तव्य। जिसमें पीएम भी बाहर नहीं होता, सीएम भी बाहर नहीं होता है। वो भी नागरि हैं। आने वाली 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्राणशक्ति है। जब सपने बड़े होते हैं। जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है। उन्होंने कहा कि अगर हम अपनी ही पीठ थपथपाते रहेंगे तो हमारे सपने कहीं दूर चले जाएंगे। इसलिए हमने कितना भी संघर्ष किया हो उसके बावजूद भी जब आज हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं तो अगरे 25 साल हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज मैं लाल किले से 130 करोड़ लोगों को आह्वान करता हूं। साथियों मुझे लगता है कि आने वाले 25 साल के लिए भी हमें उन पांच प्रण पर अपने संकल्पों को केंद्रित करना होगा। हमें पंच प्रण को लेकर 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा। पहला प्रण- अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चले। बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा। बड़ा संकल्प है, विकसित भारत। दूसरा प्रण- किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। अब शत प्रतिशत सैंकड़ों साल की गुलामी में जो हमें जकड़कर रखा है, हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी। तीसरा प्रण- हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत जिसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था। इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए। चैथा प्रण- एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों मे एकता। न कोई अपना न कोई पराया। एकता की ताकत एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपनों के लिए हमारा चैथा प्रण है। पांचवां प्रण-नागरिकों का कर्तव्य जिसमें पीएम भी बाहर नहीं होता, सीएम भी बाहर नहीं होता है। वो भी नागरि हैं। आने वाले 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए पीएम मोदी के अमृत संदेश पर मनन करना होगा।
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