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फ्री बी पर हम करेंगे फैसला: सुप्रीम कोर्ट

फ्री बी पर हम करेंगे फैसला: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। फ्री बी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम फैसला करेंगे कि फ्री बी क्या है। अब यह परिभाषित करना होगा कि फ्रीबी क्या है, जनता के पैसे को कैसे खर्च किया जाए। हम परीक्षण करेंगे। क्या सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल, पीने के पानी तक पहुंच, शिक्षा तक पहुंच को फ्रीबी माना जा सकता है? हमें यह परिभाषित करने की आवश्यकता है कि एक फ्रीबी क्या है। क्या हम किसानों को मुफ्त में खाद देने से रोक सकते हैं, मुफ्त शिक्षा, सार्वभौमिक शिक्षा का वादा, चिंता सार्वजनिक धन खर्च करने का सही तरीका है। क्या कोई मुफ्त लंच हो सकता है। सुझावों में से एक है कि राज्य के राजनीतिक दलों को मतदाताओं से वादे करने से नहीं रोका जा सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार 22 अगस्त को होगी। आम आदमी पार्टी ने चुनावी भाषण और वादों को समीक्षा के दायरे से बाहर रखने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि चुनाव से पहले किए गए वादे, दावे और भाषण बोलने की आजादी के तहत आते हैं। उन पर रोक कैसे लगाई जा सकती है? मध्यप्रदेश कांग्रेस की नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। याचिका में कहा कि सत्तारूढ़ दल सब्सिडी प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। याचिका में कहा कि कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए योजनाओं को फ्रीबीज नहीं कहा जा सकता। जया ठाकुर ने भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका का विरोध किया है। जया ठाकुर ने खुद को मामले में पक्षकार बनाने की मांग की है। याचिका में कहा है कि सरकार चलाने वाले सत्तारूढ़ दलों का कर्तव्य है कि वह समाज के कमजोर वर्गों का उत्थान करें और योजनाएं बनाएं और इसके लिए सब्सिडी प्रदान करें। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की डीएमके ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि केवल राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजना को फ्री बी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। याचिका में कहा गया है, केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार विदेशी कंपनियों को टैक्स में छूट दे रही है, प्रभावशाली उद्योगपतियों के कर्ज की माफी की जा रही है। केंद्र सरकार ने फ्री बी कल्चर का कड़ा विरोध किया है। तुषार मेहता ने कहा है कि अब इस मुफ्तखोरी की संस्कृति को आर्ट के स्तर तक ऊंचा कर दिया गया है। सीजेआई एन वी रमना ने कहा था कि अर्थव्यवस्था का पैसा लुटाना और लोगों का कल्याण, दोनों को संतुलित करना होगा। इसलिए यह बहस होनी चाहिए। कोई ऐसा होना चाहिए जो विचारों को दृष्टि में रखे ।सीजेआई ने कहा कि हम किसी भी लोकतांत्रिक विरोधी कदम की को छूने नहीं जा रहे जैसे राजनीतिक पार्टियों को डी रजिस्टर करने का मामला है। यदि मुफ्त उपहारों को लोगों के कल्याण के लिए माना जाता है, तो यह एक आपदा की ओर ले जाएगा। ये एक खतरनाक स्तर है। कोर्ट को इसमें दखल देना चाहिए।
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