ब्राह्मण का मूल कर्म और व्यवसाय।
न्यायाधीश के पद धारण का,
विधि नियमों के निर्धारण का,
और शासन के संचालन का,
अधिकार है होता ब्राह्मण का ।
चिकित्सक, शिक्षक, वैज्ञानिक का,
न्यायविद और शिक्षाविद का,
पद धारण ब्राह्मण करते है,
पद होता यह ब्राह्मण जन का ।
बुद्धिजीवी ब्राह्मण होता है सदा,
मानव समाज की सेवा करता है,
नीति, धर्म, नियम की व्याख्या करता,
विधि विधान बनाता है ।
राष्ट्र के अध्यक्ष या पद राजा का,
सर्वश्रेष्ठ क्षत्रिय को सौंपा जाता है,
राजपद के धारण का अधिकार,
क्षत्रिय का हरदम होता है ।
सेना में, पुलिस में, फौज में,
क्षत्रिय ही शामिल होता है,
वह जनता के जीवन की, सम्पत्ति की,
और देश की रक्षा करता है ।
पशुपालन, कृषि, वाणिज्य और व्यापार
करते जो वैश्य वही कहलाते हैं,
श्रमिक, सहायक, नौकर, अनुसेवक,
मजदूर जो होते शूद्र वही कहलाते हैं ।
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र –
है नाम सदा मानव गुणों का, वर्ण का,
जन्मगत जाति नहीं यह इंगित करता,
यह नाम सदा है वर्ग का या वर्ण का ।
ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, लोभ का,
अहंकार, भय, मोह, घृणा का,
पूर्वाग्रह का, पक्षपात का,
त्याग इन दस मानव दुर्गुण का –
यह प्रथम गुण लक्षण ब्राह्मण का,
और प्रथम गुण लक्षण क्षत्रिय का,
यह प्रथम गुण लक्षण वैश्य का
और प्रथम गुण लक्षण शुद्र का ।
सत्य अहिंसा धर्म का पालन
हर ब्राह्मण अपने जीवन में करता है ।
वह अत्याचार नहीं करता
और अत्याचार न सहता है ।
मानवता की सेवा में ब्राह्मण
जीवन का अर्पण करता है ।
वह धर्म की रक्षा की खातिर
परशु भी धारण करता है ।
क्षात्र धर्म को भूल क्षत्रिय जब
रक्षक होकर भक्षक बनके जीता है ।
तो अत्याचार के अन्त की खातिर ब्राह्मण
क्षत्रिय का संहार किया भी करता है ।
दोषी अपराधी को दंडित करने को
ब्राह्मण उग्र रूप धारण करता,
पर दोषी छोड किसी दूजे को
कभी नहीं वह दंडित करता ।
हिंसा अत्याचार सहन करना –
घनघोर है हिंसा, पाप वो माने,
हिंसक से लडना सही अहिंसा,
हिंसा के प्रतिकार की नीति वह जाने ।
सत्य, न्याय, धर्म की रक्षा की खातिर
वह झूठ को सच से बेहतर माने,
धर्म विजय, निर्दोष की रक्षा की खातिर
हर प्रकार के छल करना भी वह जाने ।
हर ब्राह्मण धन विद्या अर्जन करता है
और धन विद्या दान भी करता है,
वह स्व – अनुशासित रह्ता है
और न्याय का पालन करता है ।
मानव दुर्गुण को त्याग सदा जो
मानव सद्गुण धारण करता है,
सच्चा ब्राह्मण हरदम जग में
मात्र ऐसा व्यक्ति ही कहलाता है ।
क्षत्रिय निर्दोष की रक्षा करता है,
वह मौत से नहीं डरता है,
भयभीत कभी नहीं होता है,
वह हर मुश्किल से लडता है ।
पत्थर – सी होती मांसपेशियां,
फौलादी उसके सीने होते हैं,
लोहे – से होते हैं भुजदंड अभय
मजबूत इरादे हरदम होते हैं ।
नारी के सम्मान की रक्षा करता है,
और सदा कमजोर की रक्षा करता है,
देश और जनता की रक्षा की खातिर
क्षत्रिय जीवन का दांव लगाता है ।
हर क्षत्रिय आधा से ज्यादा ही
ब्राह्मण का गुण भी रखता भी रखता है,
हर क्षत्रिय अपने जीवन में
हर ब्राह्मण का आदर करता है ।
जग में सच्चे ब्राह्मण के साथ सदा
सच्चे क्षत्रिय भी आदर पाते हैं,
धरा पर सभ्य समाज रूपी शरीर के
ब्राह्मण मस्तिष्क क्षत्रिय भुजा कहलाते हैं ।
मृदुवाणी, वाक्चातुर्य, भावना शुभ लाभ की –
यह विशिष्ट है गुण लक्षण हर वैश्य का ।
कठिन परिश्रम, सबको आदर, सबकी सेवा –
यह विशिष्ट है गुण लक्षण हर शूद्र का ।
मानव के गुण और लक्षण ही जहां पर
पेशा का, व्यवसाय का आधार होता,
जनतंत्र वहीं पर होता है,
जीवन सुखमय सबका होता ।
जनतंत्र की गलत व्याख्या कर
जब अपराधी शासक बन जाते,
चोर, लुटेरे, तस्कर, अनपढ भी
विधायक, मंत्री, सांसद बन जाते ।
जाति मजहब की अग्नी सुलगाकर
राजनीति की रोटी जब सेंके जाते,
अत्याचारी, बलात्कारी, अन्यायी
भ्रष्ट जन, अपराधी हैं कानून बनाते ।
ब्राह्मण गुणों से हीन जन जब
न्यायाधीश- मंत्री पद का धारण करते हैं,
और क्षत्रिय गुणों से हीन जन
सेना में, पुलिस में शामिल होते हैं ।
तो ऐसी हालत में वहां पर
जनतंत्र बन जाता है भ्रष्टतंत्र,
अपराध पनपता है वहां,
स्थापित हो जाता अपराधतंत्र ।
वहां पर न्याय के ही नाम पर
अन्याय का नंगा नाच होता,
और शासन के नाम पर
कुशासन का विस्तार होता ।
धर्म के ही नाम पर वहां
अधर्म का व्यापार होता,
उग्रवाद पनपता है वहां
और आतंकवाद प्रश्रय पाता ।
क्राइम डेवलपमेन्ट कॉर्पोरेशन
सरकार चलाया करती है,
करप्शन प्रोमोशन कॉर्पोरेशन
सरकार चलाया करती है ।
नेतागण ताकतवर होते
फ्लेश ट्रेड के पैट्रन होते,
किड्नैपिंग इंडस्ट्री के वे
मैनेजिंग डाय्रेक्टर होते ।
तरह तरह का टैक्स चुकाती
जनता की होती है हालत खस्ता,
सरकारी टैक्स के अतिरिक्त उसे
रंगदारी टैक्स भी है देना पडता ।
बिन वर्दी के गुन्डा का साथ
वर्दी वाले गुन्डा देते,
और दोनों मिलकर जनता से
रंगदारी टैक्स लिया करते ।
विकास कार्य की राशि का
सरकारी तंत्र में बंदरबांट होता,
मंत्री, अफसर, बाबू से इंजीनीयर तक
सबको कमीशन बंट जाता ।
और फिर टैक्स देने वाली जनता
पानी बिजली को तरसती रहती,
कूडे – कचरे के दुर्गंध से बेहाल जनता
सडक पर गड्ढों से परेशान है रहती ।
अपराधियों के साये में वह
सदा है जीवन खॉफ से जीती ।
महिलाओं की इज्जत आबरू
सरे आम भी है लूटी जाती ।
आओ सब मिलकर सोंचें विचारें,
आज यह प्रण कर लें हम,
सच्चे धर्म और जनतंत्र की स्थापना
अब करके ही दम लेंगे हम ।
'इतिहास रचयिता' नामक पुस्तक से उद्धृत।
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