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मोसाद की अहम पोस्ट पर दो महिलाएं

मोसाद की अहम पोस्ट पर दो महिलाएं

यरुशलम। दुनियाभर में अपने खौफनाक और हैरतअंगेज कारनामों के लिए जाने जानी वाली इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हाल ही में अपने दो अहम पोस्ट पर महिलाओं की नियुक्ति कर बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया। मोसाद ने दोनों महिलाओं की पहचान छुपाने के लिए उन्हें कोड नेम दिए। जहां कोड नेम ‘ए’ को मोसाद के इंटेलीजेंस डिपार्टमेंट का हेड बनाया गया है, वहीं दूसरी ओर कोड नेम ‘के’ को ईरान डिपार्टमेंट का हेड बनाया गया है। इन दोनों महिलाओं की तैनाती के साथ ही मोसाद का नेतृत्व करने वाली एक्सक्यूटिव फोरम में अब चार महिलाए हैं। कोड ‘ए’ नाम की महिला मोसाद में बीते बीस साल से काम कर रही है और उसे ईरान की एटमी डील सहित अंतर्राष्ट्रीय आंतकवाद और अरब देशों के साथ संबंध सामान्य होने संबंधी मुद्दों की जिम्मेदारी दी गई है। दुनिया भर में खौफ का दूसरा पर्याय माने जाने वाली मोसाद का सालाना बजट 3 बिलियन डॉलर बताया जाता है और इसमें करीब 7 हजार लोग काम करते हैं। मोसाद की स्थापना 1940 में इजरायल के संस्थापक और पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन ने की थी। उस समय इसका उद्देश्य यहूदियों को बचाने और अरब दंगाइयों पर हमला करने के लिए हुआ था। नवबंर 2020 में ईरान के प्रमुख एटमी साइंटिस्ट मोहसेन फकीजेद्दार की आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से रिमोट कंट्रोल मशीन गन से हमला कर हत्या की गई थी। इससे पहले जनवरी 2018 में तेहरान से 30 किलोमीटर दूर एक स्टोरेज फैसिलिटी में चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया। सात घंटों से कम के समय में 32 में 27 सेफ के तालों को गलाया गया, जिसके बाद चोरी छिपे गायब हुए खुफिया एटमी दस्तावेज दो महिने बाद 2 हजार किलोमीटर दूर इजरायल के तेल अबीव में देखे गए।
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