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यूपी में पर्यटन विकास का नया अध्याय

यूपी में पर्यटन विकास का नया अध्याय

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि’ गीता का यह श्लोक एक मंत्र के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। जिसने भी इस मंत्र को अंगीकार किया, उसका उद्धार हुआ है। आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों से जिन पंचप्रणों से जुड़ने का संकल्प लेने के लिए कहा था,उन्हीं पंचप्रणों के माध्यम से भारत दुनिया में एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का सम्यक पालन करे,तो आजादी के शताब्दी महोत्सव तक भारत दुनिया की प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित हो जायेगा। अमृतकाल भारत को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का स्वर्णिम अवसर है।

वर्तमान उत्तर प्रदेश तीर्थाटन और पर्यटन की द्रष्टि से अत्यधिक समृद्ध है। यहीं प्रभु श्री राम और प्रभु श्री कृष्ण ने अवतार लिया। यहीं बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी भी है। विन्ध्याचल के अतिरिक्त अनेक शक्ति पीठ देश में प्रतिष्ठित है। प्रयागराज कुंभ के आयोजन का सौभाग्य वर्तमान उत्तर प्रदेश को ही मिला है। हिन्दू समाज ने विदेशी शासकों की असहिष्णुता के बाद भी अपनी परम्पराओं को जीवंत बनाये रखा। भारत की सांस्कृतिक स्वतंत्रता कभी धूमिल नहीं हुई। लेकिन अपने को सेक्युलर बताने वाली स्वतंत्र भारत की सरकारें तीर्थाटन संबन्धी कार्यों में औपचारिकता का निर्वाह करती रही। इससे अधिक आगे बढ़ने का उनमें साहस नहीं था। यहां तो प्रत्येक पर्व किसी न किसी तीर्थ स्थल से जुड़े हैं। प्रशासन यहां तैयारियां अवश्य करता था। लेकिन यह सब सीमित दायरे में रहता था। केंद्र में नरेन्द्र मोदी और यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद तीर्थाटन और पर्यटन की पूरी अवधारणा ही बदल गई। इसे विकसित देशों की तरह अर्थव्यवस्था से जोड़ दिया गया। योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में दीपोत्सव, मथुरा में होली और श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव को वैश्विक इवेंट बना दिया। काशी के लिए शिवरात्रि और पूरा सावन का महीना विशेष आयोजन का हो गया। यह परम्परा सदैव रही है। लेकिन योगी की तरह इन आयोजनों को प्रदेश की अर्थव्यवस्था और स्थानीय रोजगार से जोड़ने का प्रयास पहले कभी नहीं हुआ था। इस अवधि में अयोध्या में भव्य श्री राम मन्दिर का निर्माण भी प्रारंभ हो गया। भव्य काशी धाम का निर्माण पूर्ण किया गया। विन्ध्याचल कारिडोर का निर्माण प्रगति पर हैं।इन सभी प्रयासों के सकरात्मक परिणाम दिखाई देने लगे हैं। सभी स्थलों पर पर्यटन और तीर्थाटन का नया अध्याय शुरू हुआ है। काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण पर कुछ धनाढ्य नेताओं का गरीबों के प्रति प्रेम जाग उठा था। उन्होने इसके निर्माण पर तंज कसे थे। ऐसे नेताओं को प्रदेश में हो रहे पर्यटन विकास को देखना चाहिए। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ऐसे नेताओं की सरकार होती तो इनमें से एक भी कार्य नहीं होता। इसके पहले योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रयागराज कुम्भ का सर्वाधिक सफल आयोजन किया था। जिसमें अनेक वैश्विक रिकार्ड कायम हुए थे।जन्माष्टमी पर योगी आदित्यनाथ का मथुरा पहुंचना अपने में बहुत कुछ कहता है। उनकी सरकार विकास और संस्कृति दोनों के प्रति कटिबद्ध भाव से कार्य कर रही है। उन्होने यहां अन्नपूर्णा भोजनालय का लोकार्पण किया।इसके माध्यम से वृंदावन में आने वाले तीर्थयात्रियों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं को भोजन परोसकर इसका शुभारंभ किया। भोजनालय के संचालन की जिम्मेदारी मंगलमय न्यास को दी गई है। इसके अध्यक्ष संत विजयकौशल महाराज हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम ने इस बार के सावन में अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। सावन माह में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने धाम में दर्शन पूजन किया। पांच करोड़ से अधिक का चढ़ावा भी मंदिर में चढ़ाया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बीते दिसंबर माह में इस ऐतिहासिक धाम को राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद धाम की मॉनिटिरिंग समयसमय पर करते रहे है। सरकार का जोर धाम आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देने पर है। इसी का परिणाम है कि श्रद्धालु बड़ी संख्या में काशी पहुंच रहे हैं। सामान्य दिनों में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में डेढ़ से दो लाख दर्शनार्थी दर्शन करने पहुंच रहे थे। वहीं सावन माह में सभी रिकॉर्ड टूट गये हैं। इस पवित्र महीने में प्रतिदिन औसतन तीन लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर में बाबा का जलाभिषेक करने पहुंचे। मनी ऑर्डर,दानपात्र, ऑनलाइन और ऑफलाइन इन सबको मिलाकर लगभग पांच करोड़ का चढ़ावा मंदिर में आया है। लगभग चालीस किलो से ज्यादा चांदी का चढ़ावा मंदिर में आया है। वहीं एक करोड़ से अधिक का सोना भी बाबा के दरबार में श्रद्धालुओं द्वारा दान दिया गया। इस बार सावन में श्रद्धालुओं की सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया था। टेंट, मैटिंग,पेयजल, ग्रिल, बिजली कूलर सहित अन्य संसाधनों की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई थी। ताकि किसी भी श्रद्धालु को किसी प्रकार की असुविधा ना हो। विंध्याचल मंदिर में भी रिकार्ड श्रद्धालु पहुंचे हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम पहुंचने वाले शिवभक्तों के कारण वाराणसी और आसपास के इलाके में पर्यटन उद्योग को भी गति मिली है। पूरे सावन माह में वाराणसी के सभी होटल,गेस्ट हाउस, लॉज पूरी तरह से बुक रहे। साथ ही स्थानीय शिल्प और बनारसी साड़ी उद्योग को भी फायदा हुआ है। सिर्फ इतना ही नहीं स्ट्रीट वेंडर्स ने भी अच्छी कमाई की है। इन सबका असर सरकार के राजस्व पर जीएसटी कलेक्शन के रूप में तो दिखायी देगा ही।इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि’ गीता का यह श्लोक एक मंत्र के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। जिसने भी इस मंत्र को अंगीकार किया, उसका उद्धार हुआ है। आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों से जिन पंचप्रणों से जुड़ने का संकल्प लेने के लिए कहा था,उन्हीं पंचप्रणों के माध्यम से भारत दुनिया में एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का सम्यक पालन करे,तो आजादी के शताब्दी महोत्सव तक भारत दुनिया की प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित हो जायेगा। अमृतकाल भारत को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का स्वर्णिम अवसर है।
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