विघ्न-विनाशक गणपति का जन्मोत्सव
- 31 अगस्त बुधवार को बिराजेंगे बप्पा मोरया।
- बुधवार को गणेश चतुर्थी का बहुत ही शुभ संयोग।
इस साल गणेश जन्मोत्सव का पर्व 31 अगस्त से शुरु हो रहा है। 10 दिन तक घर में मंगलमूर्ति गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। अनंत चतुर्दशी तक धूमधाम से बप्पा का उत्सव मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इन दस दिनों में जो सच्ची श्रृद्धा से रिद्धि सिद्धि के दाता गणपति जी कि उपासना करता है उसके सारे विघ्न बप्पा हर लेते हैं। गौरी पुत्र गजानन की स्थापना शुभ मुहूर्त में करने से सुख-समृद्धि की आती है। बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित है। इस साल गणेश चतुर्थी 31 अगस्त बुधवार के दिन पड़ रही है। साथ में इस बार गणेश चतुर्थी पर रवि योग भी बन रहा है। ऐसे में गणेश उत्सव की शुरुआत बेहद शुभ संयोग में हो रही है।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शुरू-30 अगस्त दोपहर 3.33 मिनट से भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि खत्म-31 अगस्त दोपहर 3.22 मिनट तक
गणेश स्थापना मुहूर्त-11.05 एएम-1.38 पीएम (31 अगस्त बुधवार) पौराणिक कथा के अनुसार गणेश चतुर्थी को गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना के लिए गणेश जी का आह्वान किया था और उनसे महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की। कहते हैं गणेश चतुर्थी के दिन ही व्यास जी ने श्लोक बोलना और गणपति जी ने महाभारत को लिपिबद्ध करना शुरू किया था। 10 दिन तक बिना रूके गणपति ने लेखन कार्य किया। इस दौरान गणेश जी पर धूल मिट्टी की परत जम गई। 10 दिन बाद यानी कि अनंत चतुर्दशी पर बप्पा ने सरस्वती नदी में स्नान कर खुद को स्वच्छ किया। तब से ही हर साल 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है।
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