Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

रिश्ते

रिश्ते 

रीढ विहीन भी हो जाओगे, फिर भी कुछ तो रूठेंगे,
मुँह बन्द और जेब खुली हो, फिर भी कुछ तो रूठेंगे।
हाँ में हाँ करते जाओ, निज ख़ुशियों को तजते जाओ,
रिश्तों में मर्यादाओं की बातें, फिर भी कुछ तो रूठेंगे।
कब तक सबकी मान मुनव्वल, कैसे सबको समझाएँ,
सही मार्ग पर चलने वाले, कब तक स्वाभिमान भुलाएँ?
रिश्तों में गुणा भाग, जोड़ घटा सब कुछ ही होता है,
दो पक्षों का प्रतिफल होता, कैसे यह सत्य बिसराएँ?

अ कीर्ति वर्द्धहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ