कहते हैं नैनीताल की एक झील जहां नहाने आती हैं परियां
नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जिले को भारत का ‘लेक डिस्ट्रिक्ट’ कहा गया है। माना जाता है कि इस जिले में कभी 60 झीलें हुआ करती थीं। लेकिन आज केवल नैनीझील, भीमताल, नौकुचियाताल, हनुमान ताल, सीताताल, कमलताल जैसी कुछ झीलों से ही लोग परिचित हैं. आज हम आपको नैनीताल जिले के एक ऐसे ही ताल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे परी ताल कहा जाता है। इस झील के बारे में कम ही लोग जानते हैं. कहा जाता है कि यहां परियां नहाने आती हैं, जिस वजह से इसे यह नाम मिला है। नैनीताल शहर से 25 किलोमीटर दूर चाफी गांव पड़ता है. यहां से लगभग 3 किमी का पैदल रास्ता चलकर परी ताल तक पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने का रास्ता काफी रोमांचक और थोड़ा खतरनाक भी है. रास्ते में फिसलन भरी चट्टानों और पत्थरों के बाद नदी को पार करके इस झील के नजदीक पहुंच सकते हैं. रास्ते में अंग्रेजों के जमाने के एक पुल से होकर गुजरना पड़ता है। ब्रिटिशकाल का यह पुल भी वाकई में देखने लायक है. इस ताल को उत्तराखंड का एक रहस्यमयी ताल भी कहा जाता है. लोगों का कहना है कि हर पूर्णिमा की रात यहां परियां नहाने आती हैं, इसलिए यहां स्थानीय लोग नहाने और डुबकी लगाने से परहेज करते हैं. झील की असल गहराई का पता नहीं चल पाया है. इस ताल के आसपास की कुछ काली चट्टानें दिखती हैं. इन्हें शिलाजीत युक्त चट्टान माना जाता है. यह एंटी एजिंग के लिए औषधीय तत्वों से भरपूर होती है. इस ताल से सटा एक खूबसूरत सा झरना भी दिखाई देता है, जो इसकी सुंदरता को और निखार देता है।
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