कलमकार मस्ताना
मैं देशप्रेम दीवाना हूं मैं कलमकार मस्ताना हूं
रंगों की लेकर छटा गीतों का मधुर तराना हूं
केसरिया ले निकला माटी का तिलक किया मैंने
देशप्रेम में झूम पड़ा मैं कागज कलम मेरे गहने
सद्भावौ की धारा में जब गीत सुहाने गाता हूं
राष्ट्रधारा अलख जगाते नित नये तराने लाता हूं
कितने तूफां कितनी आंधी राहों में आ जाती है
जोश जज्बा हिम्मत आगे नतमस्तक हो जाती है
केसरिया बाना दमके ओज भरी हुंकार कलम की
प्रीत रंग के मोती बरसे दुल्हन हर्षित हुई बलम की
रंग अबीर गुलाल उड़ाते गीत मेरे देश की माटी का
रणबांकुरे मस्ती में गाते वो गुणगान हल्दीघाटी का
शौर्य पराक्रम ओज भर रग रग में जोश जगाता हूं
राणाप्रताप की तलवारों चेतक को शीश नवाता हूं
रमाकांत सोनी नवलगढ़
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