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तुम अगर साथ दो


तुम अगर साथ दो

तुम अगर साथ दो तो मैं गाता रहूं,
लेखनी ले मां शारदे मनाता रहूं।

महके जब मन हमारा तो हर शब्द खिले,  
लबों से झरते प्यारे मीठे मीठे बोल मिले। 
जब चले साथ में हम हंस कर चले,
सुहाने सफर में हम हमसफर चले।।

तुम अगर साथ दो तो मैं गाता रहूं,
लेखनी ले मां शारदे मनाता रहूं।

आंधी तूफान का हम सामना करे,
चोट दिल को लगे ऐसा काम ना करें।
बाटे खुशियां ही खुशियां आठों पहर, 
मुस्कुराता मिले मुझको मेरा ये शहर।।

तुम अगर साथ दो तो मैं गाता रहूं,
लेखनी ले मां शारदे मनाता रहूं।

सत्य की जीत जीवन में झूठ हारा है, 
मीरा तुलसी कबीरा का मोहन प्यारा है ।
भक्ति में डूब गए उनको किनारा मिला, 
प्रेम सच्चा किया तो सहारा मिला।।

तुम अगर साथ दो तो मैं गाता रहूं
लेखनी ले मां शारदे मनाता रहूं।

कूदी जौहर की ज्वाला में जब पद्मिनी, 
वो अकेली नहीं नारिया थी घनी।
आन बान शान में मिट वो गई, 
जल उठी फिर धरा शांत वो सो गई ।।

तुम अगर साथ दो तो मैं गाता रहूं, 
लेखनी ले मां शारदे मनाता रहूं।

 जो अटल सीमा पर वीर सेनानी खड़ा, 
मातृभूमि की रक्षा को जो चल पड़ा। 
लुटाकर जां वतन पर मुस्कुराता सदा ,
गीत वंदे मातरम गाता सदा।।

तुम अगर साथ दो तो मैं गाता रहूं,
लेखनी ले मां शारदे मनाता रहूं।

आज अटकी सांसे प्राणवायु बिन,
घर रहकर बिताए दिन गिन गिन।
हमें मिलकर हरियाली लाना अब,  
हम सबको मिल पेड़ लगाना अब।

तुम अगर साथ दो तो मैं गाता रहूं,
लेखनी ले मां शारदे मनाता रहू।

रमाकांत सोनी सुदर्शन 
नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
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