Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

अमीन के फेरा में जमीन

अमीन के फेरा में जमीन

गाँव में महीनन दिन से काने कान खबर पसर गेल कि अब कहिआ तो अपन गाँव में सरवे आ के धमक जाहे,आवे वोला हे एकर सोंच में केतनन तो दुबराए लगलन कि का जनी का होतइ। बूढ पुरनियाँ लोग अपन इयाद में होएल सरवे कि खिस्सा निअन तरह तरह के झंझटिआ बखेड़ा के अनुभो मोछ ऐंठित ,पोंछित बताबे लगलन त केतनन के तो हाड काँपे लगल। एक बेर कातो गाँव में सरवे करे ओलन के टोल आएल त ओकर रहे सहे,खाय पीए के सब इंतजाम मुखिआजी अपन दरोजा पर कयलन। अब जे कोई के अन पानी गरहन करते ओकर नीमक के लाज तो रखवे करतइ। त जेतनन गरमजरा जमीन ,चिंडारी, बथान मसे मुखिआजी के नामे बकसीस कयल गेल त का गयती भेल भले दोसर के खतिआनी जमीन गरमजरुआ अबैव कबजा लिखा जाए। अइसनो हो सकऽ हे कि कोइ के जमीन जे खतिआनी इया केवाला खरीदगी हे आउ दोसर के नाम पर चढ़ा देल गेल। ़
अइसन उलटफेरी के खिस्सा सुनके सोझ मन मिजाज ओलन के धुकधुकी न बढत त का होएत ,से ई बात तो पुरनका जमाना के हे आजतो अजादी के सासन हे अबो का अइसने होतइ ईहो एगो सोच हे जे संतोख के छेकुनी से कम न हे। अइसन जै मुह तै तरह के बात भर गामें पसरल।
गाँव के केतनन नौकरिआहा बाबू,जे सहरे सहर घूमित रहलन कहिओ अपन खेत न जनलन कि ओकर च उहद्दी,एराथी का हे,खाता पलौट के नाम न जानलन उन्हकर दसा तो आउ पेयाज के लोर से भरल हे।
ढेर दिन बाद एकदिन सच्चो के हल्ला हो गेल कि फलना महीना में हमनी के पंचायत मे सरवे के टोल आ रहल हे। ओकर टीयाँ इसमाइल पुर रहत जे अपन गाँव से कोस भर दूर हे।
अब तरह - तरह के बात उड़े लगल। अगर जो कुछ समझे ला होएत तब तो उहाँ जाए पड़त ,कोस भर जाना कोस भर आना।
जे अमीन गाँव में अएतन उन्हकर रहे सहे खाय पीए के सब सुभीता इहँइ दे देल जयतइन त का हरज हे। फिन सबाल उठल कि का जनि केतना अदमी से औतन , ओतना के सब सरंजाम एगो से तो न बिलुक सबके मिलके करे पड़त। पन्रह दिन तक ऐसने गलबाद होइत रहल कि एक दिन भुनेसर के नन्हका हँफित हकलाइत भुंनेसर के बतौलक कि सिमाना पर चार-पाँच गो अदमी भाला निअन झंडा ,सीकडी ,खूब ऊँच तिनप इया टेबुल लेके कउची तो करित हलथी, झंडवा खेतवे में गाड़ले हलथी। भुनेसर के अनुमान हो गेल कि जरूर ओहनिए अमीन होतन। अपन बकुली उठा के टोला के दूगो-चारगो के साथे लेके पुरबारी सिमाना पर पहुँचलन जने झंडा गड़ाएल हल। उहाँ पहुँचते टनकारे बोललन कि तोहनी के हऽ बाबू?बिन जानले जनौले जने के तने झंडा गाड़ले चलित हऽ? अमीन होतन। अपन बकुली उठा के टोला के दूगो-चारगो के साथे लेके पुरबारी सिमाना पर पहुँचलन जने झंडा गड़ाएल हल। उहाँ पहुँचते टनकारे बोललन कि तोहनी के हऽ बाबू?बिन जानले जनौले जने के तने झंडा गाड़ले चलित हऽ?
अमीनी टोल में से एगो जे मेठ निअन बुझैलन से कहलन कि भाई हमनी सरकारी मोलाजिम ही ,हमनी के कहल गेल हे गाँव के जमीन के सरवे करेला। हमनी पहिले ई देखित ही कि एकर सिमाना कने - कने से मिलल हे फिन ई गाँवके पूरा रकवा का हे,तब देखल जाएत कि खाता पलौट के मोताबिक केकर केकर खेत मकान ,,रैअती गरमजरुआ जमीन कने हे से सब के कागज में लिख के कानुनगो चाहे बडका हाकिम भिर रखल जाएत। हमनी गाँव में आएम तनी ई कममा पुरा लेही।
अइसन चिकन आउ मीठ बात सुनके ऊ लोग गाँव में आगेलन अउ अपन बहादुरी के परचा बाँटे लगलन कि कइसे सरवे के टोली से बतकही होएल, मने कि ई कोई सधारन बात न हे कि सरकारी अदमी से डट के बात करके जनकारिओ जुटा लेना कि ओहनी का का करतन। फिन तो ई बात सब जानिए गेलन।
जब गोले से गाँव के सीमाना के पोंछी धरा गेल आउ कागज के बढ़का पन्ना पर दरज हो गेल तब हुआँ से एकर से पलौटे
पलौट जिला डिरार खिंचाय लगल साथे - साथे अलगे पुरजा भी बने लगल कि कौन- कौन पलौट के रैअत के के हथ। अइसे रैअत के नाम इंदराज मने कागज में लिखाबे ला सबूत खोजे जाए लगल जइसे केवाला खतिआनी इया आउ कोई कागज जे जमीन के मलिकाना हक साबित करे।
अब जने -जने अमीन बाबू नापी में जाथ उन्हका पीछे उ एरिया में जेकर जेकर जमीन हे ,से सब अपन कागज ढोले चललन।
ऐसहीं सौंसे गाँव के खानपूरी हो गेल,गरमजरुआ आम गरमजरुआ खास,देवहा ,घर ,सहन सब कागज में भरा लिखा गेल।
ई काम में हप्ता पनरहिअन लग गेल बाकि कोइ के हाथ में एको परचा न मिलल,खाली कागज देख के ठीक हे, कहके फेर देलन कहलन सब के परचा इसमाइलपुर के सरवे कैंप मे आके देखल जाए, उहँइ परचा के नकल मिलत। ई एगो अलगे बखेड़ा के बारी आ गेल। लोग के जइसे जइसे सुविधा मिले ,जाथ ,बाकि उहाँ तो महा समुन्नर से कम जरिको न, कैंप के बाहरे जोर टाँग के ओकरे पर सब पंचात के गाँव के परचा टँगाएल हे,अपन अपन नामे परचा खोजी जा। ई काम बहुत कठिन हे। तइओ काम तो करने हे। अइसन मे परचा उलट पलट भी हो जआहे। जब घरे आके मिलान कयलन त कोइ के नाम में गलती त कोइ के एराजी कम- बेसी कोइ के चउहदिए गड़बढ़। कोइ परचा मे गरमजरुआ बिहार सरकार अबैध कबजा फलना लिखाएल हे।
अब तो भारी फेरा भेल , एतने न जमीन कोइ दूसर के नाम, चढ़ गेल दूसर के। अइसन खिससा एकेगो के न केतनन के हो गेल। जे अमीन साहेब गाँव में अएलन हल उ अनदेख हो गेलन ,पता चलल कि उन्हकर दूसर जिला में बदली हो गेल।
अइसन सिकायत ला सरवे के जिला औफिस में समाची जा। अब आउ मजा। सब छोड़ के जिला में दउड़ऽ। हिंआँ पूरा कचहरिया कारोबार ,पहिले परचा के खाता पलौट के मिलानी पता करेला बाबू लोग के जेबी गरम करधं फिन साहेब मजिस्टेट बहाल हथ ,उन्हका पास उकील दिया दरखास दिआबऽ। फिन तारिख पर तारिख पड़तो, ,आबित जाइत रहऽ। जादे जलदी के गरज हौ त उकील के कहहुन रस्ता तो फट सुन निकाल देतथू। इहाँ नीचे से ऊपर तक रुपैये के जरूरत हे,उकील साहेब सब इंतजाम कर दे हथी गवाह से हाकिम तक सब बिकाउ। सुधार के काम में एक बेरी फँसला पर वेहवार ,विचार, अचार सब सुधर जाहे।

रामकृष्ण,/गयाजी
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ