साहस
अकेले अब चलती हूं, साहस मेरा बढ़ता है
जिंदगी में कोई मेरे साथ चले, वो अब बेकार सा लगता है
मैं जंग अपनी लरती हूं,हारती हूं, जीतती हूं
लोग मेरी हार पर हंसते हैं,जीत पर ईर्ष्या करते हैं
नहीं चाहिए ऐसी भीड़ जो हिम्मत मेरी तोड़ते हैं
नहीं चाहिए ऐसे मित्र और रिश्ते जो उपहास करते हैं
एकांत में रह कर मन को शांत रखना परता है
शांत मन से ही संकल्प बड़ा होता हैं
एक कदम आगे बढ़ा कर देख , गिराने के लिए होने लगेगा पलटवार
योजना किसी को बताया नहीं करते
चुप_चाप रह कर अंजाम देते हैं
हास्य जो आज उड़ा रहे हैं
कल सफलता देख कर चुप बैठेंगे
निरंतर प्रयास करते रहो
फल ईश्वर जरूर देंगे।
ऋचा श्रावणी
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