चीन के लिए आसान नहीं होगा ताइवान पर कब्जा
ताइपे। नैंसी पेलोसी के ताइवान जाने से क्रोधित चीन ने ताइवान पर मिलिट्री एक्शन की धमकियों के बाद ताइवान स्ट्रेट में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। चीन ने ताइवान से महज 16 किलोमीटर दूर अपना सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि चीन का ताइवान पर कब्जा करना मुश्किल हो सकता है?
ताइवान जिसे पहले फॉर्मोसा द्वीप के नाम से जाना जाता था, उसे आधिकारिक तौर पर रिपब्लिक ऑफ चाइना कहते हैं। माओत्से तुंग की विजयी कम्युनिस्ट सेना से पराजित होने के बाद राष्ट्रवादी कुओमिन्तांग, अपनी सेना के साथ 1949 में फॉर्मोसा द्वीप पर बस गए थे। हालांकि तब से चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता आया है। चीन की ‘वन चाइना नीति’ की ही वजह से किसी बड़े देश ने अभी तक ताइवान को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी है। चीन और ताइवान के बीच में 128 किलोमीटर चैड़ा ताइवान स्ट्रेट चीनी सेना को थकाने और बचाव के लिए ताइवान को पर्याप्त समय देता है। हालांकि चीनी सेना जहां अपने जहाजों को उतार सकती है वह जगह इससे कहीं दूर स्थित है। अगर एयरलिफ्ट की बात करें तो भी चीन हवाई मार्ग से कुछ हजार सैनिकों को ही ताइवान में उतार सकता है। भारी तादाद में उसे अपने सैनिकों और हथियारों को भेजने के लिए शिप की जरूरत होगी। रिपोर्ट के अनुसार चीन को ताइवान पर कब्जा करने के लिए कम से कम 4 लाख सैनिकों की आवश्यकता होगी। इन सैनिकों को चीन ताइवान तक अपने सैकड़ों जहाजों से ही पहुंचा सकता है।
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