Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

मैं चन्दन ही हूँ

मैं चन्दन ही हूँ 

हाँ ! मैं चन्दन ही था, मुझे काटा गया,
घिसा पत्थर पर, माथे पे लगाया गया।
चाहता रहा खुशबु बाँटना, जमाने में,
मुझे तराश कर, बुतखाने में सजाया गया।
कुदरत की मेहरबानी, मुझे शीतलता मिली,
सुरक्षा में विषधरों को, मुझसे लिपटाया गया।
मगर नहीं चाहा किसी ने वुजूद मेरा बचाना,
वृक्षों को मेरे  काटा गया, उजाड़ा गया।
चाहत रही, रहूँ अर्पित सदा प्रभु के चरणों में,
क्यूँ किसी नेता के शव में, मुझको जलाया गया?

डॉ अ कीर्तिवर्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ